दुर्दात अपराधियों का नाता अक्षरों से जोड़ रहे हैं मोहन लाल
https://www.shirazehind.com/2014/01/blog-post_619.html
महराजगंज। दहेज हत्या के मामले में दस वर्ष की सजा
पा चुके मोहन लाल इन दिनों महराजगंज के जिला कारागार में दुर्दात
अपराधियों का नाता अक्षरों से जोड़ रहे हैं। सींखचों के भीतर रोज इनकी
पाठशाला लगती है। जेल प्रशासन भी इनके साक्षरता अभियान में साथ खड़ा है।
पिछले तीन महीनों से जारी इस मुहिम के चलते चालीस कैदी साक्षर हो चुके हैं।
फरेंदा के रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक मोहन लाल, पत्नी गोदावरी व बेटे संजय के साथ सितंबर 2013 में जब जेल आए तो पखवारे भर गुमसुम से रहे। जेल में अपराधियों के रूखे व्यवहार से आखें अपराधबोध से भर आती। इन दौरान जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने जब अनपढ़ कैदियों को पढ़ाने के लिए कहा तो मोहन लाल को गोया जीने का एक सहारा मिल गया। फिर देर किस बात की थी। ब्लैकबोर्ड आया और शुरू हो गई पढ़ाई। पहले मुश्किलों के बाद आज मोहन बाबू की पाठशाला में 60 कैदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मोहन बाबू इन्हें किताबी ज्ञान के साथ ही आचार-व्यवहार व देश दुनिया की जानकारी भी दे रहे हैं।
जेल में मोहन लाल की कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहे कैदियों ने बताया है कि अपराध की दुनिया में डूब चुके जीवन को अब नया सहारा मिल है। शिक्षा के जरिए जेल से बाहर निकलने के बाद नए सिरे से जीवन की शुरुआत होगी। मोहन बाबू ने कहना है कि उनके प्रयास से कुछ लोगों के जीवन में बदलाव आ जाए, इससे बेहतर और क्या होगा। जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने बताया कि जेल के अंदर माहौल को बेहतर बनाने व कैदियों के बीच नई ऊर्जा के संचार के लिए पढ़ाई की शुरुआत की गई है। अच्छी बात यह है कि निरक्षर कैदियों को एक कैदी ही शिक्षा दे रहा है। उम्मीद है कि साक्षर हो कर बाहर निकलने वाले कैदी नई सोच व संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे।
फरेंदा के रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक मोहन लाल, पत्नी गोदावरी व बेटे संजय के साथ सितंबर 2013 में जब जेल आए तो पखवारे भर गुमसुम से रहे। जेल में अपराधियों के रूखे व्यवहार से आखें अपराधबोध से भर आती। इन दौरान जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने जब अनपढ़ कैदियों को पढ़ाने के लिए कहा तो मोहन लाल को गोया जीने का एक सहारा मिल गया। फिर देर किस बात की थी। ब्लैकबोर्ड आया और शुरू हो गई पढ़ाई। पहले मुश्किलों के बाद आज मोहन बाबू की पाठशाला में 60 कैदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मोहन बाबू इन्हें किताबी ज्ञान के साथ ही आचार-व्यवहार व देश दुनिया की जानकारी भी दे रहे हैं।
जेल में मोहन लाल की कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहे कैदियों ने बताया है कि अपराध की दुनिया में डूब चुके जीवन को अब नया सहारा मिल है। शिक्षा के जरिए जेल से बाहर निकलने के बाद नए सिरे से जीवन की शुरुआत होगी। मोहन बाबू ने कहना है कि उनके प्रयास से कुछ लोगों के जीवन में बदलाव आ जाए, इससे बेहतर और क्या होगा। जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने बताया कि जेल के अंदर माहौल को बेहतर बनाने व कैदियों के बीच नई ऊर्जा के संचार के लिए पढ़ाई की शुरुआत की गई है। अच्छी बात यह है कि निरक्षर कैदियों को एक कैदी ही शिक्षा दे रहा है। उम्मीद है कि साक्षर हो कर बाहर निकलने वाले कैदी नई सोच व संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे।