अमन कायम करना इस्लाम का मकसद
https://www.shirazehind.com/2014/01/blog-post_20.html
जौनपुर। शाही ईदगाह से उठकर तारापुर मस्जिद पहुंचने वाला 17 रबीउल अव्वल का ऐतिहासिक जलसा रविवार की देर रात तक चला। जलसे में शहर की अंजुमन और अखाड़़़ों ने हिस्सा लिया। शाही ईदगाह पर मौलान हस्सान ने जलसे को खेताब भी किया।
मगरिब की नमाज के बाद 17 रबीउल अव्वल का जुलूस कुरान की तेलावत के साथ शुरू हुआ। इसके बाद शहर की अंजुमनों ने रास्ते भर नबी की सीरत पर नातख्वानी की। साथ चल रहे अखाड़ा शफीक उस्ताद के खिलाडि़यों ने फने सिपहगिरी दिखाकर लोगों को आकर्षित किया। पूरे रास्ते पर सजावट की गई थी और अखाड़ों को ईनाम से नवाजा गया। शाही ईदगाह से मछलीशहर पड़ाव होता हुआ जुलूस तारापुर मस्जिद के पास पहुंचा। वहां देर रात तक अंजुमन एजाज मुस्तफा मीरमस्त, हैदरिया कलीचाबाद, रशीदिया पुरानीबाजार, रहमानिया , मुजाहिदे इस्लाम, चारयारी बड़ी मस्जिद, इदरीसिया रौजाअर्जन, हैदरिया मुल्लाटोला, खालिदिया कोरापट्टी, गुलजारे मदीना, अनवार निजामिया आदि ने नातख्वानी की। इसके बाद अखाड़ों ने लकड़ी,बनेठी, तलवार बाजी, भाला आदि का खेल दिखाया। इसके पूर्व जलसे को खेताब करते हुए मौलाना हस्सान ने कहा कि माहे रबीउल अव्वल में ही हजरत मुहम्मद साहब की वेलादत हुई। उन्होंने हमेशा लोगों को सच्चाई के रास्ते पर चलने की सीख दी है। उनकी सुन्नतों पर चलना हर मुसलमान का फर्ज है। भाईचारा और अमन कायम करना इस्लाम का मकसद है। अंत में मौलाना ने मुल्क में अमन के लिए दुआ कराई। इस मौके पर हाजी इस्लाम, हाजी लियाकत अली, गुलहसन, उस्मान, शाहिद मंसूरी, महमूद, शफीक, मोईन, नियाज, सूफियान असंारी, शमीम मास्टर आदि उपस्थित रहे।
जावेद अहमद
मगरिब की नमाज के बाद 17 रबीउल अव्वल का जुलूस कुरान की तेलावत के साथ शुरू हुआ। इसके बाद शहर की अंजुमनों ने रास्ते भर नबी की सीरत पर नातख्वानी की। साथ चल रहे अखाड़ा शफीक उस्ताद के खिलाडि़यों ने फने सिपहगिरी दिखाकर लोगों को आकर्षित किया। पूरे रास्ते पर सजावट की गई थी और अखाड़ों को ईनाम से नवाजा गया। शाही ईदगाह से मछलीशहर पड़ाव होता हुआ जुलूस तारापुर मस्जिद के पास पहुंचा। वहां देर रात तक अंजुमन एजाज मुस्तफा मीरमस्त, हैदरिया कलीचाबाद, रशीदिया पुरानीबाजार, रहमानिया , मुजाहिदे इस्लाम, चारयारी बड़ी मस्जिद, इदरीसिया रौजाअर्जन, हैदरिया मुल्लाटोला, खालिदिया कोरापट्टी, गुलजारे मदीना, अनवार निजामिया आदि ने नातख्वानी की। इसके बाद अखाड़ों ने लकड़ी,बनेठी, तलवार बाजी, भाला आदि का खेल दिखाया। इसके पूर्व जलसे को खेताब करते हुए मौलाना हस्सान ने कहा कि माहे रबीउल अव्वल में ही हजरत मुहम्मद साहब की वेलादत हुई। उन्होंने हमेशा लोगों को सच्चाई के रास्ते पर चलने की सीख दी है। उनकी सुन्नतों पर चलना हर मुसलमान का फर्ज है। भाईचारा और अमन कायम करना इस्लाम का मकसद है। अंत में मौलाना ने मुल्क में अमन के लिए दुआ कराई। इस मौके पर हाजी इस्लाम, हाजी लियाकत अली, गुलहसन, उस्मान, शाहिद मंसूरी, महमूद, शफीक, मोईन, नियाज, सूफियान असंारी, शमीम मास्टर आदि उपस्थित रहे।
जावेद अहमद