338 करोड़ में बनेगा सीएम का नया ऑफिस

लखनऊ. घोषणाओं और शिलान्यासों लिए मशहूर हो चुके यूपी के सीएम अखिलेश यदव ने अपने लिए भी एक हाईटेक सचिवालय की बनवाने की घोषणा कर दी है। राममनोहर लोहिया के आदर्शों पर चलने वाली वर्तमान यूपी सरकार अब अपने ही फैसले से सवालों के कटघरे में खड़ी दिखाई पड़ रही है। एक तरफ जहां सपा सरकार अपनी कई चुनावी घोषणा पत्र में घोषित योजनाओं को बजट के आभाव से बंद करने की कगार पर पहुंच चुकी है, वहीं अब लोकतंत्र और समजावाद की बात करने वाली सपा सरकार विधानसभा के सामने मौजूद धरना स्थल को ख़त्म करके अखिलेश यादव के लिए 338 करोड़ रूपए का नया सचिवालय बनाने जा रही है। सूबे में विधान सभा चुनावों के बाद सपा की सरकार बनते ही यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र की जीत करार देते हुए सबसे पहले विधानसभा के सामने मौजूद धरना स्थल को फिर से धरने के लिए खोल दिया था। अब शायद उस वक़्त अखिलेश यादव को भी नहीं पता था कि न केवल उनको अपने ही फैसले से एक यूटर्न लेना पड़ेगा बल्कि धरना के वजूद को अपने नए दफ्तर के लिए ख़त्म करना पड़ेगा। मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव एक साल बाद धरना स्थल पर बन रहे नए दफ्तर से यूपी की सत्‍ता चलाएंगे। यह दफ्तर यूपी का अब तक का सबसे सुरक्षित हाईटेक बिल्डिंग होगी। दो ब्‍लॉक में बन रही नई बिल्डिंग में 1330 कर्मचारियों के बैठने की व्‍यवस्‍था होगी। पहला ब्‍लॉक पांच मंजिला और दूसरा सात मंजिला होगा। इसमें हर तरह के आतंकवादी हमले को झेलने की क्षमता होगी। नए भवन का निर्माण विधानभवन के सामने धरनास्‍थल पर होगा। सुरक्षा के तकनीकी इंतजाम संसद जैसे ही होंगे। चेकपोस्‍ट भी बुलेट प्रूफ ही होगा। प्रवेश करते ही सामान और शरीर को स्‍कैन हो जाएगा। बैरियर तोड़ते ही वाहन जाम हो जाएगा। ऐसे में किसी वाहन से टक्‍कर मारकर अंदर जाना संभव नहीं होगा। भवन में प्रवेश करने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक कार्ड का इस्‍तेमाल करना होगा। भवन के निर्माण की लागत 338 करोड़ रुपए होने की उम्‍मीद है। इसके लिए वित्‍त विभाग की व्‍यय वित्‍तीय समिति ने मंजूरी दे दी है। इसका निर्माण कार्य आरंभ हो गया और इसकी पूरी जिम्‍मेदारी राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई है। इसका डिजाइन निगम ने ही तैयार किया है। खास बात है कि भवन के पहले ब्‍लॉक के गुंबद की शक्‍ल विधान भवन जैसी ही होगी। इसी ब्‍लॉक में मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव बैठेंगे। दरअसल, इसी जगह पर करीब पांच साल पहले राजकीय निर्माण निगम ने मंत्री आवास बनाने का काम शुरू किया था। हालांकि बाद में इस योजना को रोक दिया गया। एनेक्‍सी के बदले अब इसी जगह पर प्रदेश की सत्‍ता का केंद्र होगा। 

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