र्स्वग मेँ सेँ लडकी ने अपनी माँ को लिखा पत्र...!!

महिला_दिवस‬

मेरी प्यारी मम्मी...
तू अब दवाखाने से घर आ गई होगी..?
तेरी तबियत की मुझे चिँता होती है..
अब आपकी तबियत अच्छी होगी ..?
प्यारी मम्मी तेरी कोख से मेरा अंश रहा
तब से मुझे वात्सल्य से
उभरता माँ का चेहरा देखना है...
मम्मी मेरे गाल पर तेरा एक
प्यारभरी चुम्मी के लिए तरसती हूँ
मुझे मेरी जननी के हाथ मेँ फूल होकर
खीलना था...
मुझे मेरी मम्मी के हाथ से मार खाकर
रोना था.....
मम्मी, मुझे तेरेआगंन मेँ पाँव रखना था
और अपना घर खिल खिलाट भरना था....
और मम्मी, मुझे तेरी लोरी सुनते-सुनते सोने
कि तरस थी.....
कुदरत ने मुझे
तेरा लडका बनाया होता तो कोई
प्रोब्लम नही होती..
मम्मी, लेकिन तुझे कुदरत का न्याय मंजूर
नही था.
तुझे तो लडके की भूख थी.
तुझे तो केवल मात्र संतान से गोद
नही भरनी थी..
तेरे तो भविष्य मेँ कमाऊ लडके कि सपंति से
घर भर देना था..
मम्मी, तुझे तो मिलकत का वारिस
उगाना था..
और बुढापे मेँ माँ बेटा-बहु का प्रेम,
सेवा और दु:ख मेँ आँसु पुछने
का सहारा चाहिए था.
तुझे मेरी काली भाषा सुनना कि पसंद
नही थी..
तुझे तेरे दिल मेँ कोई प्रेम नही आया?
इसिलिए मम्मी तू दवा खाने जाकर मुझ से
छुटकारा पा लिया...
मम्मी, जब डाँक्टर कैँची से फूल
जैसी बेटी को कुचल रहा था..
मेरे शरीर के एक के बाद एक अगं काटकर
अलग रख रहा था..
मुझे लग रहा था कि अब
माँ को दया आयेगी लेकिन तुझे
दया नही आयी...
तुझे तो दया नही आयी मम्मी! लेकिन
भगवान को तो दया आयी.
डाक्टर के तेज धार कि कैँची से
मेरा कलेजा फट गया और भगवान ने मुझे
अपने पास बुला लिया.....
मम्मी, तू खुद लडकी है,
तो यह बात कैसे भूल गई ? चलो वो तो सब
ठीक है, लेकिन तेरे पेट मे
ही मेरी कब्रबना दी तुझे
जरा भी दया नहीं आयी ?
चिँता मत कर मम्मी, अब जब मेरा भाई
जन्म ले तब
इस लडकी की याद दिलाना... अरे हा !
रक्षाबंधन के दिन मुझे याद करके भाई
को मेरा आशिर्वाद देना...!!
.
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.by Yogesh Sonthalia

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