हौसले को सलाम: पैरों के बूते दे रहे हैं 10th बोर्ड का एग्जाम
https://www.shirazehind.com/2014/03/10th.html
मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो दुनिया की कोई भी बाधा आड़े नहीं आती है। कोई भी अपनी मेहनत का लोहा मनवा सकता है। बिल्कुल यही कहानी है जौनपुर जिले के विशाल गौतम की। जन्म से ही दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद भी विशाल की प्रतिभा देखकर आज हर कोई हैरान है।
दोनों हाथ नहीं थे तो उनके माता-पिता ने सोचा कि विशाल कैसे अपना जीवन यापन करेगा, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के बल पर विशाल ने हार नहीं मानी और अपने पैरों को ही हाथ बना लिए।
द्वारिका प्रसाद इण्टर कालेज समाधगंज परीक्षा केंद्र में 10 वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर दे रहा है। परीक्षा केंद्र पर निरीक्षण के लिए आने वाले सभी अधिकारी उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं। पैरों से पेन पकड़कर लिखने के बाद भी उसकी गति ठीक तथा हैंडराइटिंग अच्छी है। ग्राम कुंवरपुर विकासखंड मछलीशहर के छात्र विशाल कुमार गौतम जन्म से दोनों हाथों से विकलांग है। आसमान से ऊंचे हौसले के धनी विशाल ने 10 वीं कक्षा के बाद ग्रेजुएशन तथा कम्प्यूटर सीखने की भी इच्छा जताकर कहा कि वो आगे जाकर शासकीय नौकरी करना चाहता है। यह बालक आगे चलकर अपना काम कैसे करेगा तथा इस दुनिया में किस तरह से जीवन बसर करेगा, परंतु सुलेन्द्र के हौसले के आगे आज वे नतमस्तक हैं।
द्वारिका प्रसाद इण्टर कालेज समाधगंज परीक्षा केंद्र में 10 वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर दे रहा है। परीक्षा केंद्र पर निरीक्षण के लिए आने वाले सभी अधिकारी उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं। पैरों से पेन पकड़कर लिखने के बाद भी उसकी गति ठीक तथा हैंडराइटिंग अच्छी है। ग्राम कुंवरपुर विकासखंड मछलीशहर के छात्र विशाल कुमार गौतम जन्म से दोनों हाथों से विकलांग है। आसमान से ऊंचे हौसले के धनी विशाल ने 10 वीं कक्षा के बाद ग्रेजुएशन तथा कम्प्यूटर सीखने की भी इच्छा जताकर कहा कि वो आगे जाकर शासकीय नौकरी करना चाहता है। यह बालक आगे चलकर अपना काम कैसे करेगा तथा इस दुनिया में किस तरह से जीवन बसर करेगा, परंतु सुलेन्द्र के हौसले के आगे आज वे नतमस्तक हैं।