पति की मौत के बाद भी नहीं रुके कदम, पंचर बनाकर की बच्चों परवरिश
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वाराणसी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अक्सर हम उन महिलाओं की ही बात करते हैं, जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर समाज में एक मुकाम हासिल किया है, अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया है। महिला दिवस पर dainikbhaskar.com उन महिलाओं की बात तो करता ही है, साथ ही उन महिलाओं की भी चर्चा करता है, जो न तो बहुत पढ़ी-लिखी हैं और न ही उन्होंने बड़े स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की है। हां लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और अपने हौसले के दम से समाज में एक स्थान जरूर हासिल किया है।
हम बात कर रहे हैं 51 साल की राजकुमारी की, जिसे यह तक नहीं पता है कि महिला दिवस क्या होता है? जब उसके तीन मासूम बच्चों ने ठीक से चलना भी नहीं सीखा था, उसके पति बच्चों की जिम्मेदारी उस पर छोड़कर चल बसे थे। राजकुमारी ने हिम्मत नहीं हारी और पंचर बनाने की दुकान खोल ली। लोगों ने कई बार उसे मजाक का शिकार भी बनाया, लेकिन राजकुमारी के इरादों को टस से मस भी नहीं कर सके। इसी दुकान के बूते पर राजकुमारी ने अपने बच्चों की परवरिश की और बड़ी बेटी की धूमधाम से शादी भी रचाई। राजकुमारी का कहना है कि जीवन में इतने संघर्ष रहे हैं कि किसी का साथ कभी नहीं मिला। पति की मौत के बाद पंचर की दुकान खोलकर किसी तरह बड़ी बेटी को बीए तक पढ़ाया। उसने बताया कि लोग उसे पंचर बनाते देखते थे, तो मजाक उड़ाते थे। उसने बताया कि वह दोनों बेटों को पढ़ाना चाहती थी, लेकिन गरीबी के चलते संभव नहीं हो सका। पढ़ाई इतनी महंगी थी की आर्थिक तंगी के चलते केवल परवरिस ही कर पाई। दोनों बेटे गाड़ी का काम सीख रहे हैं। उसने बताया कि विधवा पेंशन के लिए उसने अधिकारियों के कई चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की। उन्होंने बताया कि फिलहाल जीवन कट रहा है। बच्चे पैरों पर खड़े हो जाए बस यही कामना है।

mai tahe dil se salam karata hu es bharti nari ko
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