जिम्मेदारियों का पूरी तरह निर्वाहन किया जाय चाहे वह पारिवारिक हो अथवा धर्म की
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आजमगढ़। कप्तानगंज क्षेत्र के बरसरा आईमा निवासी अवकाश प्राप्त एसआईएमटी सैय्यद शबीहुल हसन के 40वें की मजलिस उनके आवास पर आयोजित हुई। मजलिस को खेताब करते हुए बिजनौर से आये मौलाना सैय्यद सरकार मेंहदी ने कहा कि अपने सामाजिक एवं पारिवारिक धर्म का निर्वाह करने के साथ जो व्यक्ति धर्म का भी पूरी तरह निर्वहन करता रहे वह एक कामयाब जिंदगी गुजारता है। उन्होंने कहा कि आज के समाज में लोग एक भी जिम्मेदारी ठीक से उठाने में डगमगा जाते है जबकि धर्म में इस बाद को जोर देर कहा गया है कि सभी जिम्मेदारियों का पूरी तरह निर्वाहन किया जाय चाहे वह पारिवारिक हो अथवा धर्म की। दिल्ली से आये मौलाना गजनफर अब्बास तूसी ने कहा कि इस्लाम जुल्म से रोकता है। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी पर जुल्म ढाये। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने हर व्यक्ति के साथ हिसाब करने के लिए एक दिन मुकर्रर किया है और उसी दिन वह खुद कर्मों का हिसाब किताब लेगा। कहा कि आज मजहब को बदनाम करने के लिए कुछ लोग साजिश के तहत बर्बरता एवं खूरेंजी कर रहे है। जिससे पूरा इस्लाम धर्म बदनाम हो रहा है।
गौरतलब हो कि सैय्यद शबीहुल हसन का जौनपुर पुलिस लाइन स्थित आवास पर हृदय गति रूक जाने से निधन हो गया था। अवकाश प्राप्त होने के बाद वे जौनपुर में ही अपने आवास पर रह रहे थे लेकिन मौत के बाद उनका शव उनके पैतृक आवास ले जाकर सुपुर्द ए खाक किया गया जहां उनके 40वें मजलिस का आयोजन हुआ। सुबह से ही कुरानख्वानी आयोजित हुई और लोगों ने कुरान की तेलावत की। जिसके बाद हिफाजत हुसैन व उनके साथियों ने सोजख्वानी पेश की और मजलिसों का सिलसिला शुरू हुआ। मजलिस के अंत में आये हुए लोगों ने मरहूम के भाई मौलाना सै. तहजीबुल हसन व उनके पुत्रों हैदर अब्बास, जमानत अब्बास, काजिम अब्बास, मोहम्मद अब्बास को पुरसा दिया।
गौरतलब हो कि सैय्यद शबीहुल हसन का जौनपुर पुलिस लाइन स्थित आवास पर हृदय गति रूक जाने से निधन हो गया था। अवकाश प्राप्त होने के बाद वे जौनपुर में ही अपने आवास पर रह रहे थे लेकिन मौत के बाद उनका शव उनके पैतृक आवास ले जाकर सुपुर्द ए खाक किया गया जहां उनके 40वें मजलिस का आयोजन हुआ। सुबह से ही कुरानख्वानी आयोजित हुई और लोगों ने कुरान की तेलावत की। जिसके बाद हिफाजत हुसैन व उनके साथियों ने सोजख्वानी पेश की और मजलिसों का सिलसिला शुरू हुआ। मजलिस के अंत में आये हुए लोगों ने मरहूम के भाई मौलाना सै. तहजीबुल हसन व उनके पुत्रों हैदर अब्बास, जमानत अब्बास, काजिम अब्बास, मोहम्मद अब्बास को पुरसा दिया।