प्रेमी के साथ फर्रुखाबाद में जिंदा मिली वैशाली, तो संदूक में लाश किसकी?
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गोरखपुर. बीते नौ मई को एक युवती का अधजला शव मिला। उसकी शिनाख्त भी वैशाली के रूप में हुई। वह भी खुद उसके मां-बाप ने किया। लेकिन सबके होश तब उड़ गए, जब वैशाली गुरुवार को सुबह गोरखपुर पहुंच जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह युवती कौन थी, जिसकी लाश रोडवेज बुकिंग काउंटर के पास संदूक में मिली थी।
शाहपुर पुलिस ने वैशाली को उसके प्रेमी (अब पति) के साथ फर्रुखाबाद से ढूंढ निकाला। गुरुवार की सुबह पुलिस उसे लेकर गोरखपुर आ गई। पूरे घटनाक्रम के बाद अब पुलिस के सामने यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि संदूक से बरामद लाश किसकी है? इस घटना ने 17 जून 2011 को कैंट इलाके में हुई मर्डर मिस्ट्री 'शिखा हत्याकांड' की कुछ हद तक यादें तरोताजा कर दी हैं।
शाहपुर आवास विकास कॉलोनी निवासी वीरेंद्र श्रीवास्तव की बेटी वैशाली तीन मई की सुबह कॉलेज के लिए निकली थी, लेकिन घर नहीं लौटी। परिजनों ने चार मई को शाहपुर पुलिस को बेटी की गुमशुदगी की तहरीर दी। छह मई को उन्होंने पुलिस को एक मोबाइल नंबर दिया, जिससे उस नंबर पर बार-बार फोन कॉल आ रही थी, और पूछा जा रहा था कि वैशाली घर पहुंची या नहीं।
अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद रिटायर्ड बिजली कर्मचारी वीरेंद्र श्रीवास्तव अपनी एक बेटी के साथ 10 अप्रैल को कैंट थाने पहुंचे। पुलिस ने उन्हें शव की शिनाख्त के लिए मेडिकल कॉलेज स्थित मोर्चरी पर भेजा। बाप-बेटी ने शव की शिनाख्त उसके शरीर पर मौजूद चीजों (जैसे गले में काला धागा, हाथ मे लोहे की रिंग, बांह में कटे का निशान) आदि से वैशाली के रूप में की। बता दें कि जिस वक्त वैशाली घर से कॉलेज के लिए निकली थी, उसके शरीर पर सूट सलवार थी लेकिन शव के शरीर पर नाइटी थी।
वैशाली का सुराग गोरखपुर की पुलिस ने सर्विलांस से लगाया। दारोगा मृत्युंजय सिंह के नेतृत्व में पुलिस की टीम फर्रुखाबाद पहुंची। मकसद साफ था कि दीपक नामक युवक को गिरफ्तार करना था। दरवाजा खुलते ही पुलिस टीम के होश फाख्ता हो गए। सामने वैशाली खड़ी, जिसे वे मृतक मानकर चल रहे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वैशाली ने दीपक से कोर्ट मैरिज कर लिया है।