जो बदल सकते हैं अंगुली के निशान से पहाड़, आदमी नहीं वो अवतार होते हैं......

 जौनपुर। साहित्यिक व सामाजिक संस्था ‘अपूर्वा भारती’ के बैनर तले भारती नगर स्थित इंग्लिश क्लब में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन हुआ जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानाचार्य दीनानाथ सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। तत्पश्चात् डा. हरि प्रसाद किसलय ने सरस्वती वंदना किया जिसके बाद कवि सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ। प्रथम चरण का संचालन सुशील वर्मा एडवोकेट ने किया जहां स्वागत भाषण वीरसेन सिंह वीर एडवोकेट ने किया। संस्थाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह ने संस्था की पृष्ठभूमि एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला जिसके बाद संयोजक राधेश्याम पाण्डेय ने सभी मंचासीन कवियों का माल्यार्पण करके स्वागत किया।
    आगरा से आये रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी ने ‘वक्त और किस्मत पर जो सवार होते हैं, उनके चाहने वाले एक नहीं हजार होते हैं, जो बदल सकते हैं अंगुली के निशाने से पहाड़, आदमी नहीं वो अवतार होते हैं’ सुनाकर कवि सम्मेलन की शुरूआत किया।
    इसी क्रम में लखनऊ के वाहिद अली वाहिद ने ‘कोई सूरज आग उगने वाला है, क्या भारत का भाग्य बदलने वाला है, सत्ता का संघर्ष चरम पर आ पहुंचा, फिर गंगा से भीष्म निकलने वाला है।’ ‘कोई अर्थ निकल आयेगा शब्द-शब्द अभिराम लिखो, सुबह बनारस मैं लिखता हूं तुम भी अवध की शाम लिखे, नफरत के इस दावानल में जल जाने से बेहतर है, प्रेमगीत तो मैंने लिखा तुम भी नया कलाम लिखो’ सुनाकर महफिल को अपने नाम कर लिया।
    वहीं दिल्ली से आयीं श्वेता सरगम ने ‘खुशी तुझपे लूटा दूंगी जो तू मेरा बने, तुझे पलको पे बिठा लूंगी जो तू मेरा बने, चांद-तारों की बात मैं तुझसे नहीं करती, अपनी दुनिया मंे बसा लूंगी जो तू मेरा बने’ सुनाकर युवाओं को अपनी ओर खींच लिया।
    इलाहाबाद से पधारे हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर अखिलेश द्विवेदी एडवोकेट ने अपनी रचनाओं से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने राजनीति सहित अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित कई रचनाओं को पढ़कर उपस्थित लोगों को खूब गुदगुदाया।
    वाराणसी से आये लालजी यादव ‘झगड़ू भइया’ ने ‘दारू दावत में फंसकर एदवां समझौता बेमेल हो गयल, उड़ै लगल फिर हवा में झण्डा धोखाधड़ी क खेल हो गयल, डोलै जइसे भीगी बिल्ली सब हेल क मारल बेल हो गयल, औ सइकिल कय फिरी क कुत्ता अहिराने में फेल हो गयल’ सुनाकर माहौल को बदल दिया।
    मिर्जापुर से आयीं कवियत्री पूनम श्रीवास्तव ने ‘हल कोई न कर पाये मैं ऐसी पहेली हूं, मैं मौज में आऊं तो गंगा की रवानी हूं, कालिंदी की लहरों की चढ़ती जवानी हूं, मैं जान हूं गुलशन की फूलों की सहेली हूं, रिश्तों के बवण्डर में मीत अकेली हूं, तुम मुझको समझने में व्याकुल हो रहे हो क्यूं, हल कोई न कर पाया ऐसी पहेली हूं’ सुनाकर माहौल को ओज व श्रृंगारयुक्त बना दिया।
    इसके अलावा गिरीश श्रीवास्तव, सभाजीत द्विवेदी आदि कवियों ने भी काव्य पाठ किया जिसके बाद अध्यक्षता करते हुये डा. पीसी विश्वकर्मा ने अपनी काव्य पाठ से कार्यक्रम का समापन किया। कवि सम्मेलन का संचालन राम किशोर त्रिपाठी बाराबंकी ने शेरो-शायरी के साथ किया। श्री त्रिपाठी ने अपनी देशभक्ति रचनाओं को जब पढ़ा तो मध्य रात्रि में लोगों को लग रही नींद टूट गयी और पूरे पण्डाल सहित आस-पास का क्षेत्र गूंजायमान हो उठा। उनके जज्बे व जोश के साथ उनकी ओजस्वी रचना ने पूरे माहौल को एक बार फिर बदल दिया। श्री त्रिपाठी की ‘जो जाति धरम का भेद न करती वही है हिन्दी, देश तो एक जंजीर में बंधी जा रही हिन्दी, देश बंटे तो राष्ट्र की भाषा नहीं हो पायेगी हिन्दी, पर राष्ट्र के साथ-साथ विश्व को संभाले हुये हैं हिन्दी’ सुनाया तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पण्डाल गूंज उठा।
    इस अवसर पर पूर्व मंत्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव, चेयरमैन दिनेश टण्डन, नन्द लाल मौर्य, डा. हृदय नारायण पाण्डेय, देवी प्रसाद पाण्डेय, ओम प्रकाश दूबे, दिनेश शर्मा, डा. आशुतोष उपाध्याय, उमाकांत गिरि, संकठा प्रसाद पाण्डेय, प्रेम प्रकाश मिश्र, दीवानी बार अध्यक्ष सत्येन्द्र बहादुर सिंह, महामंत्री जय प्रकाश सिंह कामरेड, आरपी सिंह, बीडी सिंह, कमला प्रसाद यादव, अनिल सिंह कप्तान, ब्रजनाथ पाठक, रमेश सिंह, पत्रकार डा. राम सिंगार शुक्ल गदेला, अनिल पाण्डेय सहित तमाम गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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