इंद्र देवता के लिए वाराणसी के घाटों पर बजी शहनाइयां

वाराणसी. भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए काशी के लोगों ने शनिवार को एक अनोखा उपाय निकाला। उन्होंने बारिश के देवता इंद्र को खुश करने के लिए संगीत का सहारा लिया। शनिवार को शहर के शहनाई वादक तुलसी घाट पहुंचे। उन्होंने 'मल्हार राग' की धुन बजाकर भगवान से बारिश करने की प्रार्थना की। शहनाई वादक महेंद्र प्रसन्ना ने बताया कि पुराने जमाने में किसान गांव में सूखे की आशंका को देखते हुए संगीत के जरिए भगवान से बारिश करने की प्रार्थना करते थे। ऐसे में उन्होंने भी संगीत का सहारा लिया और शहनाई बजाकर भगवान से बारिश करने की गुजारिश की। बताते चलें कि इन दिनों वाराणसी सहित पूरे उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है। इससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। वहीं, बारिश नहीं होने से किसानों को अपने फसल की चिंता सता रही है। प्री मानसून आ जाने का बाद भी बारिश नहीं हुई है। ऐसे में प्रदेश में सूखे का खतरा मंडरा रहा है। मल्हार का मतलब बारिश या वर्षा है। माना जाता है कि इस राग को गाने से बारिश होती है। इस राग को कर्नाटकी शैली में मधायामावती कहा जाता है। तानसेन और मीरा मल्हार राग में गाना गाने के लिए मशहूर थे। कहा जाता है कि तानसेन के 'मियां के मल्हार' गाने से सुखा ग्रस्त प्रदेश में भी बारिश होती थी। मल्हार राग के प्रसिद्ध रचना 'करे करे बदरा घटा घना घोर घोर मियां की मल्हार' है।

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