खादी से ज्यादा खाकी ने बदनाम किया यूपी

 यूपी में पुलिस द्वारा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की पूरी सीरीज है। यूपी को जितना 'खादी' ने बदनाम किया है, उसमें 'खाकी' भी पीछे नहीं रही है। महिलाओं, नाबालिग और लड़कियों की अस्मत लूटने और उनकी हत्या करने या करवाने में यूपी की खाकी सबसे आगे रही है!
कानून-व्यवस्था के मामले में समाजवादी सरकार तो पहले से ही फिसड्डी रही है। वहीं, बेहतर कानून-व्यवस्था का दंभ भरने वाली माया सरकार में भी महिलाओं पर कम जुल्म नहीं हुए हैं। साल 2007 में सत्ता में आई माया सरकार ने चुनावों में नारा दिया था 'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर', लेकिन जैसे-जैसे सरकार आगे बढ़ी, बिगड़ती कानून-व्यवस्था के आंकड़ों में बढ़ोतरी होती गई। 
 
कुछ यही हाल अखिलेश सरकार का भी है। उन्होंने सत्ता संभालते ही प्रदेश में बेहतर कानून-व्यवस्था की बात की थी, लेकिन प्रदेश में अपराध का ग्राफ चढ़ता गया। सीएम की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उनसे प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सवाल किया गया। सीएम ने तुरंत ही अप्रत्याशित जवाब देते हुए कहा कि आप सुरक्षित हैं कि नहीं?
 
राजधानी हो या फिर यूपी का कोई और शहर हर जगह पुलिस वालों ने अपनी करतूत से खाकी को शर्मसार किया है। बदायूं में दो बहनों की गैंगरेप का मामला हो या फिर लखीमपुर का सोनम हत्याकांड, सब जगह पुलिस वालों की भूमिका संदिग्ध रही है।
 
दिसंबर 2012 में ही पुलिस पर दाग लगा। अंबेडकरनगर के अकबरपुर की बलात्कार पीड़िता न्याय मांगने के लिए दरोगा के पास पहुंची तो उसे न्याय तो नहीं मिला, लेकिन इज्जत जरूर चली गई। न्याय दिलाने के बहाने एसएसआई मान सिंह ने फैजाबाद के एक होटल में ले जाकर उसका बलात्कार किया। हालांकि बाद में मामले में कार्रवाई करते हुए  फैजाबाद पुलिस ने एसएसआई को जेल भेज दिया। मामले की जांच आगे बढ़ी, तो पता चला कि अकबरपुर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी एके उपाध्याय ने भी युवती के साथ बलात्कार किया था। 
 
दिसंबर 2012 में ही राजधानी के माल थाना के अंदर सब इंसपेक्टर ने महिला से बलात्कार की कोशिश की। राजधानी के ग्रामीण इलाके के माल थाना में तैनात सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद अवस्थी ने देर शाम महिला को उसकी शिकायत सुनने के लिए बुलाया था और मामले को सुलझाने का वादा किया था। भोली-भाली महिला भी साहब के बुलावे में अकेले थाने पहुंच गई। उसे क्या पता था कि जिसको वह रक्षक समझ रही है, वह इज्जत का भूखा भेड़िया है। 
 
महिला उनको अपनी समस्या बता ही रही थी कि सब इंस्पेक्टर पर हवस का भूत सवार हो गया। उसकी फरियाद सुनने के बजाय वह अकेली देख महिला संग जबर्दस्ती करने लगा। अपनी इज्जत बचाने के लिए वह चीखी-चिल्लाई। दरिंदा बने सब इंसपेक्टर के हाथ में दांतों से काट लिया और नोच खसोट कर अपनी इज्जत बचाई। लोगों की मौके पर भीड़ जुटते देख सब इंस्पेक्टर फरार हो गए। बाद में दरोगा को निलंबित कर दिया गया।
 
मार्च 2012 में कानपुर में भी खाकी ने पुलिस विभाग को सरेआम शर्मसार किया। यहां कैंट सर्किल में तैनात सीओ अमरजीत शाही एक आर्मी अफसर की बेटी को ब्लैकमेल कर महीनों यौन शोषण करता रहा। दरअसल कैंट में तैनाती होने के बाद अमरजीत शाही ने पहले तो सैन्य अफसर से मेल जोल बढ़ाया, फिर घर आना-जाना शुरू कर दिया। एक दिन मौका पाकर वह घर गया। उसे अकेली पाकर चाय में नशीला पदार्थ पिलाकर फिर उसका बलात्कार कर किया। इतना ही नहीं उसका एमएमएस भी बना लिया। 
 
एमएमएस का डर दिखाकर वह कई दिनों तक उसका रेप करता रहा। इसके बाद सीओ अमरजीत शाही का ट्रांसफर प्रतापगढ़ में हो गया, लेकिन पीड़ित युवती का यौन शोषण जारी रहा। मामला खुलने पर सीओ अमरजीत शाही को जेल भेजा गया।  
 
10 जून 2011 को लखीमपुर खीरी में खाकी का खौफनाक चेहरा सामने आया। यहां एक नाबालिग बच्ची को पुलिसवालों ने अपनी हवस का शिकार बनाना चाहा। जब उसने विरोध किया तो उसे मारकर थाना परिसर में ही पेड़ से टांग दिया गया। इस मामले पर भी खूब सियासत हुई थी। बाद में थाने के एसओ समेत पूरे थाने को सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया।
 
दिसंबर 2013 में सीतापुर में नाबालिग बच्चे से ही उम्रदराज दरोगा ने दुष्कर्म किया। बताते चलें कि थाने के चौकीदार का बेटा रोज ही दरोगा को खाना पहुंचाने जाता था। मामले में कार्रवाई हुई और दरोगा प्रेमी यादव को सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया।

इसी तरह कुशीनगर में भी एक दरोगा और पुलिस चौकीदार को दुराचार के मामले में पिछले दिनों जेल जाना पड़ा था। इस मामले को पहले तो जिले के अधिकारियों ने दबाने की कोशिश की पर बात बढ़ जाने पर उन्हें कार्रवाई करनी पड़नी पड़ी।
 
- तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय राय ने अपनी महबूबा की चाहत में उसके मासूम भाई की शूटरों से हत्या करा दी।

- पुलिस लाइन की एक महिला सिपाही ने तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक कुलभूषण ओझा पर छेड़छाड़ और प्रताड़ित किए जाने का लगाया आरोप।

- इसके अलावा एक आशिक मिजाज थानेदार तौफीक अहमद ने अपने ही थाने में एक महिला सिपाही की हथेली में आई लव यू लिखकर प्यार का इजहार किया।

- सिपाही शिव कुमार ने स्कूल से छुट्टी के बाद वापस लौट रही छात्रा से छेड़छाड़ की। छात्रा के शोर मचाने पर स्थानीय लोगों ने सिपाही की सरेराह पिटाई की।

- हाल ही में विभूतिखंड थाना एसओ पंकज सिंह पर महिला सिपाही को अश्लील क्लिपिंग दिखाने का आरोप लगा था।
शुभ्रा लाहिड़ी कांड
 शुभ्रा लाहिड़ी कांड ने बनारसी दास की सरकार को हिलाया था। शुभ्रा कांड सियासत के गलियारों से लेकर गांव की चौपाल तक चर्चा में रहा था। जनवरी 1980 में लखनऊ के सुजानपुरा आलमबाग निवासी एमए की छात्रा शुभ्रा लाहिड़ी अचानक गायब हो गई थी। करीब बीस दिन बाद उसकी अर्धनग्न लाश मॉल एवेन्यू के पीछे नाले में मिली। इस मामले की सीबीआई ने जांच करते हुए बलात्कार की पुष्टि भी की थी।
 नारायणपुर कांड
बनारसी दास के ही कार्यकाल में देवरिया के नारायनपुर गांव के हाटा थाना क्षेत्र में हुई एक बुजुर्ग महिला की मौत पर ग्रामीण धरना दे रहे थे। तब पुलिस पर रात के अंधेरे में बुरी तरह पीटने और महिलाओं के साथ दुराचार और उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी घटनास्थल पर पहुंची थीं। तब इस मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि बनारसी दास सरकार बर्खास्त कर दी गई और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था।
 माया त्यागी कांड
9 जून 1980 को वीपी सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके महज कुछ दिन बाद ही 16 जून को शादी में पति और उनके दो दोस्तों के साथ कार से माया त्यागी जा रही थी। बलात्कार की नियत से पुलिस सब इंस्पेक्टर ने उसे सड़क पर ही निर्वस्त्र कर दिया। जब पति और अन्य लोगों ने विरोध किया तो उन्हें न सिर्फ पीटा गया, बल्कि डकैत भी घोषित कर दिया। महिला की भी पिटाई की गई। इस घटना पर जमकर हंगामा हुआ, तो जांच पीएन राय कमीशन को सौंप दी गई।
 सिसवां कांड
श्रीपति मिश्र के मुख्यमंत्री रहते हुए बस्ती के सिसवां में सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। यह कांड विधानसभा से लेकर संसद तक गूंजा। इसके बाद पूरा थाना सस्पेंड कर दिया गया था।

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