कब-कहां लेंगे भगवान कलियुग में जन्म, कौन होंगे माता-पिता

 कहते हैं कलियुग यानी कलह क्लेश का युग जिस युग सभी के मन में असंतोष हो सभी मानसिक रूप से दुखी हों वह युग ही कलियुग है। हिंदू धर्म ग्रंथो में चार युग बताए गए हैं। सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग व कलयुग। सतयुग में लोगों में छल, कपट और दंभ नहीं होता है। त्रेतायुग में एक अंश अधर्म अपना पैर जमा लेता है। द्वापर युग में धर्म आधा ही रह जाता है। कलियुग के आने पर तीन अंशों से इस जगत पर अधर्म का आक्रमण हो जाता है। इस युग में धर्म का सिर्फ एक चौथाई अंश ही रह जाता है। सतयुग के बाद जैसे-जैसे दूसरा युग आता जाता है। वैसे-वैसे मनुष्यों की आयु, वीर्य, बुद्धि, बल और तेज का हास होता जाता है।
माना जाता है कि कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी। लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी। सभी एक-दूसरे को लूटने में लगे रहेंगे। व्रत नियमों का पालन नहीं करेंगे उसके विपरित वेदों की निंदा करेंगे। स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी। वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। अमावस्या के बिना ही सूर्य ग्रहण लगेगा। अपने देश छोड़कर दूसरे देश में रहना अच्छा माना जाएगा। व्याभिचार बढ़ेगा।
उस समय मनुष्य की औसत आयु सौलह साल होगी सात-आठ वर्ष की उम्र में पुरुष व स्त्री समागम करके संतान उत्पन्न करेंगे। पति व पत्नी अपनी स्त्री व पुरुष से संतुष्ट नहीं रहेंगी। मंदिर कहीं नहीं होंगे। युग के अंत में प्राणियों का अभाव हो जाएगा। तारों की चमक बहुत कम हो जाएगी। पृथ्वी पर गर्मी बहुत बढ़ जाएगी। इसके बाद सतयुग का आरंभ होगा उस समय काल की प्रेरणा से भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा।

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