‘‘चिडि़या और औरत‘‘
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एक-एक तिनके से
बंया बनाती हैं चिडि़या
सर्दी, धूप और बारिश से
सुरक्षित बंया बनाती है चिडि़या
घोषले में चूजों का संसार
बसाती है चिडि़या
आससमान फाड़ पहाड़ों को लांघ
बादलों को चीर
बारिश में भींग
चूजों को दाना चूंगाती है चिडि़या
उन्हें उड़ना भी
सिखाती है चिडि़या
कितनी समानता है
चिडि़या और उस औरत मंे
दोनों का समर्पण कितना सुखद है
कितनी समानता है
चिडि़या और औरत के संसार में
लेकिन
दोनों की नियति समान हैं
उस
शिकारी बांज से नहीं बचती
चिडि़या और वह औरत