आज फिर लगी राजा जौनपुर की दरबार , दरबारियों ने दिया लगान
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जौनपुर में आज भी दशहरे के दिन राजा की दरबार लगती हैं। राजा पूरे राजशाही वेश भूषा धरण करके राज सिघासन पर आसिन होकर अस्त्र शस्त्र का पूंजन करते हैं। पूंजा पाठ के बाद दरबारी पूरे आस्था के साथ लगान देते हैं। यह सीन देखकर राजशाही परम्परा की याद ताजा हो जाती हैं
यह दृश्य किसी फिल्म या टीवी सिरियल का नही हैं यह जौनपुर हवेली चल रहे शस्त्र पूंजन का हैं। यहां के राजा अवनीन्द्र दत्त दूबे विजय दशमी के दिन अपना दरबार लगाकर पहले शस्त्र पूंजन करते हैं उसके उनके परम्परागत दरबारी लगान देते हैं। राज दरबार समाप्त होने के बाद जौनपुर के बादशाह हाथी घोड़े बैण्ड बाजे के साथ रावण दहन करने चल पड़ते हैं। उनके पीछे चलने वाली गाडि़यों का काफिला जौनपुर राज की इतिहास की यादे ताजा करा देती हैं। राजा अवनीन्द्र दत्त के अनुसार यह परम्परा आज की नही बल्की सदियों पुरानी हैं। उनके पूर्वजों ने इस आयोजन की नीव डाली थी आज भी उसी परम्परा को जीवित रखे हुए हैं। जौनपुर हवेली में दशहरे के दिन लगने वाला यह दरबार जहां राज घराने की परम्परा जीवित है वही आज के लोगों को राजशाही परम्परा का याद भी दिलाती हैं।
यह दृश्य किसी फिल्म या टीवी सिरियल का नही हैं यह जौनपुर हवेली चल रहे शस्त्र पूंजन का हैं। यहां के राजा अवनीन्द्र दत्त दूबे विजय दशमी के दिन अपना दरबार लगाकर पहले शस्त्र पूंजन करते हैं उसके उनके परम्परागत दरबारी लगान देते हैं। राज दरबार समाप्त होने के बाद जौनपुर के बादशाह हाथी घोड़े बैण्ड बाजे के साथ रावण दहन करने चल पड़ते हैं। उनके पीछे चलने वाली गाडि़यों का काफिला जौनपुर राज की इतिहास की यादे ताजा करा देती हैं। राजा अवनीन्द्र दत्त के अनुसार यह परम्परा आज की नही बल्की सदियों पुरानी हैं। उनके पूर्वजों ने इस आयोजन की नीव डाली थी आज भी उसी परम्परा को जीवित रखे हुए हैं। जौनपुर हवेली में दशहरे के दिन लगने वाला यह दरबार जहां राज घराने की परम्परा जीवित है वही आज के लोगों को राजशाही परम्परा का याद भी दिलाती हैं।