हाईकोर्ट ने लगायी निकाय के नामित सदस्यों को वोट देने से रोक
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जफराबाद। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने नगर पंचायत जफराबाद नामित सभासदों (सदस्यों) को वोट देने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि नामित सभासद नगर पंचायत जफराबाद की बैठक में भाग तो ले सकते हैं बशर्ते वोट नहीं दे सकते। कोर्ट के उक्त फरमान से नामित सभासदों में हड़कम्प मचा हुआ है।
नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा बरनवाल ने कहा कि शासन द्वारा नामित सभासद (सदस्य) शिवेन्द्र सेठ, जमाल हाश्मी एवं चमेला देवी नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। ये सभासद नगर पंचायत बोर्ड की बैठकों में पिछले कार्यवाही की पुष्टि तथा अन्य विकास एवं निर्माण कार्य के लिए जबरजस्ती वोटिंग का दबाव बनाते थे। जुलाई 2014 में नगर पालिका परिषद मवाना मेरठ की एक याचिका पर अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उत्तर प्रदेश नगर पालिका एक्ट की धारा 9 (1) डी संविधान के अनुच्छेद 243 (आर) के उपखण्ड (2) (ए) (चार) के विपरीत है। संविधान नामित सदस्यों को मीटिंग में भाग लेने की छूट देता है परन्तु उन्हें वोट देने से रोकता है। इसके विपरीत एक्ट में नामित सदस्यों को वोट देने का अधिकार दिया गया है, जो संविधान के विपरीत है। उक्त आदेश के बावत जब इन्हें अवगत कराते हुए कमीशन एवं वोटिंग का मोह छोड़कर नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में अपना सहयोग प्रदान करने की अपील की जा रही थी, के बावजूद नामित सभासदग वोटिंग के अधिकार का हवाला देते हुए नगर पंचायत के विकास कार्य में बाधक बनने का कार्य कर रहे थे। नगर पालिका परिषद मवाना मेरठ की याचिका की तर्ज पर मेरे द्वारा भी जब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया तो मा0 हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश दिनांक 29 अक्टूबर 2014 को पारित कर मुझे राहत प्रदान किया है। रेखा बरनवाल ने नामित सदस्यों से सारे गिले शिकवे भूलकर नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया है।
नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा बरनवाल ने कहा कि शासन द्वारा नामित सभासद (सदस्य) शिवेन्द्र सेठ, जमाल हाश्मी एवं चमेला देवी नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। ये सभासद नगर पंचायत बोर्ड की बैठकों में पिछले कार्यवाही की पुष्टि तथा अन्य विकास एवं निर्माण कार्य के लिए जबरजस्ती वोटिंग का दबाव बनाते थे। जुलाई 2014 में नगर पालिका परिषद मवाना मेरठ की एक याचिका पर अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उत्तर प्रदेश नगर पालिका एक्ट की धारा 9 (1) डी संविधान के अनुच्छेद 243 (आर) के उपखण्ड (2) (ए) (चार) के विपरीत है। संविधान नामित सदस्यों को मीटिंग में भाग लेने की छूट देता है परन्तु उन्हें वोट देने से रोकता है। इसके विपरीत एक्ट में नामित सदस्यों को वोट देने का अधिकार दिया गया है, जो संविधान के विपरीत है। उक्त आदेश के बावत जब इन्हें अवगत कराते हुए कमीशन एवं वोटिंग का मोह छोड़कर नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में अपना सहयोग प्रदान करने की अपील की जा रही थी, के बावजूद नामित सभासदग वोटिंग के अधिकार का हवाला देते हुए नगर पंचायत के विकास कार्य में बाधक बनने का कार्य कर रहे थे। नगर पालिका परिषद मवाना मेरठ की याचिका की तर्ज पर मेरे द्वारा भी जब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया तो मा0 हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश दिनांक 29 अक्टूबर 2014 को पारित कर मुझे राहत प्रदान किया है। रेखा बरनवाल ने नामित सदस्यों से सारे गिले शिकवे भूलकर नगर पंचायत जफराबाद के विकास कार्य में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया है।