महिलाओं को तालीम हासिल करना जरूरी

जौनपुर। शहर के पुरानी बाजार मोहल्ला में जलसा सिरतुन्ननबी व मदहे सहाबा का आयोजन किया गया। इस मौके पर जलसे को खिताब करते हुए मौलाना वसीम अहमद शेरवानी ने कहा इस्लाम में महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया गया है। मोहम्मद साहब के आगमन के पूर्व अरब में बेटियों को जिंदा दफ्न कर दिया जाता था। महिलाओं को कोई इज्जत नहीं दी जाती थी और उनके साथ दोहरा व्यवहार होता था। लेकिन अल्लाह के रसूल ने समाज मे व्याप्त इस कुप्रथा को न सिर्फ समाप्त किया बल्कि महिलाओं को सजाम में बराबरी का दर्जा दिलाते हुए उन्हें उनके लिए तालीम हासिल करना भी जरूरी बताया। मौलाना इस्लामुल हक सीतापुरी ने कहा कि हुजुरे अकरम ने सहाबा एकराम को सितारों के मिस्ल बताकर यह साबित कर दिया कि जिस तरीके से आसमान की बलंदियों पर सितारों का मकाम उसी तरीके से इस्लाम की तारीख में सहाबाए कराम है जिन्होंने दीन की रौशनी फैलाने का काम किया। उन्हीं के बताए हुए रास्ते पर चलकर दुनिया में कामयाब जिंदगी गुजारने के साथ आखेरत की मंजिल भी कामयाबी से हासिल की जा सकती है। मुस्लमानों को दुनिया के साथ साथ आखेरत भी बनानी है तो उन्हें सहाबाए कराम के बताए हुए रास्ते पर चलना होगा। जलसे की सदारत मौलाना तौफीक ने जब्कि नेजामत मुजाहिद हसनैन हबीबी पटना ने किया। इस मौके पर  अबरार आलम, मोहम्मद मुंसफ, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद दानिश के अलावा अंजुमन रशीदिया के तामाम मेंमबरान मौजूद रहे।

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