अराजकता, भ्रष्टाचार, जातिवाद, छंद्भ् धर्म निरेपक्षता से मुक्त करायेगी शिवाजी सेना

 हिंदुस्तान की गौरवमयी पुनर्वापसी के लिए प्रतिबद्ध शिवाजी सेना राष्ट्रीयत्व को अपना धर्म तथा हिन्दुराष्ट्र के परिकल्पना के प्रेरणाश्रोत वीर पुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज को आदर्श मानती है। इस संगठन के सेना नायक संदीप पाण्डेय "बाबा" ने अपने प्रेरणा श्रोत वीर पुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर ही संगठन का नाम शिवाजी सेना रखा। यह संगठन अपने आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज के क्रियकलापो का अनुशरण करते हुए देश को अराजकता, भ्रष्टाचार, जातिवाद, छंद्भ् धर्म निरेपक्षता से मुक्त संघर्षशील एवम् दृढ़ प्रतिज्ञ है। राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाली शिवाजी सेना पूरी तरह से इस देश और देश वासीयो तथा इसकी संस्कृति के प्रति समर्पित संगठन है और वर्तमान निराशा जनक स्थिति में एक नया सम्पूर्ण तथा उच्च विकल्प देने का वादा करती है। समान कानून, भ्रष्टाचार मुक्त जन व्यवस्था तथा तुरन्त न्याय में विश्वास रखने वाली शिवाजी सेना देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन और सम्मान की सुरक्षा के लिए कृत संकल्प है।शिवाजी सेना किसी हठ धर्मिता से बधी नहीं है। संगठन तुस्टिकरण की निति में विश्वास न रखकर देश से दोहरे कानून को समाप्त करने का पक्षधर है। संगठन के सेना नायक संदीप पाण्डेय "बाबा" जी की स्पष्ट सोच है कि - न्याय सभी को, तुष्टीकरण किसी का संगठन  हिन्दू, मुस्लिम, सिख, और इसाई भाइयों की तरह है अगर वह राष्ट्रवादी व्यक्ति है तो शिवाजी सेना उसका सम्मान करती है। जाती आधारित राजनीति से समाज में जो कटुता का वातावरण है
शिवाजी सेना उसके विरुद्ध जात - पात के सिद्धान्तों में विश्वास न रखते हुए कर्मयोगियों के माध्यम से समाज में समरसता लाना चाहती है।
शिवाजी सेना मानती है कि दलित चेतना के उभार को आरक्षण की बैशाखी नहीं वरन् परस्पर सद्भाव एवम् सम्मान की सीढ़ी चाहिए, जिससे जातिगत आरक्षण समाप्त कर आर्थिक आधार के अनुसार आरक्षण मिल सके और बंट रहे समाज को एक समरसता के सूत्र में पिरोया जा सके।
शिवाजी सेना की देश के युवा एवम् छात्र वर्ग में पूर्ण आस्था है, क्योंकि यह पीढ़ी आगे चलकर नवभारत का निर्माण करेगी। इसलिए यह पीढ़ी अपने आप को कुंठित महसूस न करे, शिवाजी सेना की उद्योगों में युवाओं के लिए 80% आरक्षण की हामी है, किन्तु कॉलेजों और नौकरी में जाति आधार पर आरक्षण की विरोधी, क्योंकि शिवाजी सेना इस पीढ़ी को जातियों में बंटा नहीं देखना चाहती है। राष्ट्रीय जीवन की सांस्कृतिक जड़ों को मजबुत करते हुए शिवाजी सेना विज्ञानं तथा तकनीक के आधार पर देश का विकास कर आधुनिक बनाना चाहती है, किन्तु उच्च तकनीक के साथ - साथ लघु कुटीर उद्योगों को शिवाजी सेना प्रथम वरीयता देती है। शिवाजी सेना मानती है कि कृषि इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, अत: कृषकों के लिए बेहतर से बेहतर सुविधाएं एवम् कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे देश में समृद्धता आ सके।
स्त्रियों को शिवाजी सेना मातृ शक्ति के रूप में देखती है, क्योंकि उनके माध्यम से भारत का भविष्य बनाने वाली पीढ़ी का जन्म होगा, अत: स्त्रियों को यथोचित सम्मान, रोजगार के अवसर और समानता का अधिकार मिलना चाहिए।
सामाजिक समरसता एवम् व्यवस्था को बनाये रखने में न्याय पालिका का महत्वपूर्ण स्थान है, अत: न्याय मिलने की व्यवस्था में आमूल - चुल परिवर्तन, जिससे नागरिकों को तुरंत, कम खर्चीला और निष्पक्ष न्याय मिल सके। गोवंश का सम्मान एवम् गौ - रक्षा भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण एवम् प्राचीन अवधारणा रही है, और शिवाजी सेना इस अवधारणा की पक्षधर है। शिवाजी सेना मानती है कि एक शिक्षित नागरिक भारत के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा, अत: शिवाजी सेना शिक्षा के स्तर की गुणवत्ता में  सुधार एवम् शत - प्रतिशत साक्षरता के लिए कृतसंकल्प है। स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मन निवास करता है, अत: शिवाजी सेना इस अवधारणा में खेल आदि गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करना चाहती है।
शिवाजी समग्र क्रांति के लिए प्रयत्नशील है, जैसे सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, वैचारिक आदि। शिवाजी सेना इसको उत्साह बढ़ाने वाले सुयोग्य एवम् स्वच्छ जीवन
व राष्ट्र के लिए निःस्वार्थ सेवा की भावना रखने वाले प्रतिनिधियों और निष्ठापूर्ण कार्यकर्ताओं के द्वारा कार्यान्वित करना चाहती है।
       इस लक्ष्य की सफलतम पूर्ति के लिए शिवाजी सेना के पास स्पष्ट सिद्धान्त, ठोस नीतियां, सर्वोत्तम नेतृत्व और समर्पित कार्यकर्ताओं का बल है।

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