पशुचिकित्सालय पर भ्रष्टाचार का बोलबाला
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जौनपुर। धर्मापुर विकास खण्ड कार्यालय परिसर में स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय के लाभ से क्षेत्र के पशुपालक वंचित है और मजबूरन उन्हे निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिससे सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। इस चिकित्सालय में व्याप्त दुव्र्यवस्था और मनमानी पर रोक लगाने में विभाग और प्रशासन विफल साबित हो रहा है। पशुओं को दी जाने वाली दवायें बाहर की दुकानों पर बेच दी जाती है तथा निःशुल्क बंटने वाला पोषाहार कहां जाता है इसका पता आज तक नहीं लग सका। जिलाधिकारी ने गत दिवस बैठक में सख्त हिदायत दिया था कि चिकित्सक अपने तैनाती स्थल पर निवास करेगें लेकिन यहां तैनात पशु चिकत्सा अधीक्षक डा0 ओपी यादव ने इस फरमान को नजर अंदाज कर अन्यत्र ही निवास कर रहे है। जिसका नतीजा यह होता है। जब रात पशुओं को लेकर पालक उक्त चिकित्सालय पर जाते है तो चिकित्सक नहीं मिलते और उन्हे परेशान होने के बाद निजी डाक्टर के पास जाकर सैकड़ों रूपये और समय बर्बाद करना करना पड़ रहा है। पूरे क्षेत्र में कहीं भी पशुओं को टीका पूरे साल नहीं निःशुल्क नहीं लगाया जाता और फर्जी आंकड़े सरकारी अभिलेखों मंें दर्ज कर दिया जाता है। गांव के लोगों का कहना है कि यह सरकारी पशु चिकित्सालय शोपीस बना हुआ है। इसका लाभ पशु पालक नहीं चिकित्सक और स्टाफ उठा रहे है। ठण्ड मंे सैकड़ों पशुओं की मौत हो गयी। इस बारे में केन्द्र पर जानकारी भी दी गयी लेकिन कुछ नहीं किया गया। इस पशु चिकित्सालय का कोई भी कर्मचारी न तो यहां की योजनाओं की जानकारी देता और न ही सरकारी स्तर से आने वाला पोषाहार ही वितरित किया जाता है।