90 साल से ये हिंदू परिवार मुहर्रम में बना रहा है मन्नत का ताजिया
https://www.shirazehind.com/2015/10/90.html
वाराणसी। गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी काशी में एक नहीं, कई ऐसी
मिसालें मिल जाएंगी जो ये बताने के लिए काफी हैं कि अल्लाह और भगवान दोनों
एक ही हैं। दोनों को मानने का तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन उसकी रहमत
सब पर एक जैसी ही बरसती है। नवरात्र में जहां कई मुस्लिम परिवारों ने माता की चुनरी बनाई
तो वहीं एक हिंदू परिवार पिछले 90 साल से मुहर्रम में मन्नत का ताजिया बना
रहा है। मुहर्रम के आखिरी दिन परिवार के लोग मुस्लिम भाइयों के साथ उस
ताजिए को ठंडा करने भी जाते हैं।
दुर्गाकुंड कबीर नगर के ब्रह्मानगर में होरीलाल का परिवार रहता है। घर
में उनके बेटे लालजी, पन्नालाल, राजेंद्र और भतीजे सब साथ रहते हैं।
ताजिया बनाने वाले लालजी ने बताया कि बड़ी बहन मन्नो देवी की तबियत खराब
रहती थी। काफी इलाज करवाने के बावजूद उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि उस वक्त उनका परिवार शिवाला मोहल्ले में रहा करता
था। वहां कई मुस्लिम परिवार भी रहते थे। उन परिवारों ने पिता होरीलाल से
मन्नत मांगने को कहा। उन्होंने मन्नो देवी को सिगरा स्थित फातमा की दरगाह
पर लिटाकर मन्नत मांगी। इसे ऊपर वाले का चमत्कार ही कहेंगे कि वो एकदम ठीक
हो गईं। तब से आज तक ये परिवार लगन और विश्वास के साथ ताजिया बना रहा है।
खुद ठंडा भी करते हैं ताजिया
होरीलाल के दूसरे बेटे पन्नालाल ने बताया कि परिवार के लोग ताजिया लेकर मुहर्रम के आठवें दिन शाम को हुसैन बोलते हुए निकलते हैं। ताजिया लेकर शिवाला जाते हैं। वहीं पर इसे रखकर रात भर मातम मनाते हैं। इसके बाद अगले दिन सब लोग फातमान दरगाह के लिए निकल जाते हैं। वहां पहले से खुदे गड्ढे में ताजिया रख दिया जाता है। इसके बाद उस पर पानी डालकर उसे ठंडा किया जाता है।
होरीलाल के दूसरे बेटे पन्नालाल ने बताया कि परिवार के लोग ताजिया लेकर मुहर्रम के आठवें दिन शाम को हुसैन बोलते हुए निकलते हैं। ताजिया लेकर शिवाला जाते हैं। वहीं पर इसे रखकर रात भर मातम मनाते हैं। इसके बाद अगले दिन सब लोग फातमान दरगाह के लिए निकल जाते हैं। वहां पहले से खुदे गड्ढे में ताजिया रख दिया जाता है। इसके बाद उस पर पानी डालकर उसे ठंडा किया जाता है।
व्यवसाय करनेवाले अपने आप को धर्म और जाति से नहीं जोड़ते हैं ।चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम ,उनके लिये उनका पेट ही मायने रखता है, इसलिए इस पोस्ट मे ऐसा कुछ नहीं है जिसे गंगा जमुनी तहजीब का नाम दिया जाये।
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