C.M ने नही किया न्याय, पारसनाथ यादव को करना चाहिए था बरखास्त : उषा मौर्या
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फाइल फोटो |
सन् 2013 से जौनपुर नगर की पचहटिया मोहल्ले के निवासी उषा मौर्या नामक एक महिला कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के ऊपर अपनी कीमती जमीन को कब्जा करने का आरोप लगाती चली आ रही है। वह धरना प्रर्दशन करने साथ ही राज्यपाल, मुख्यमंत्री को लगातार पत्रक सौपकर अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग करती चली आ रही है। यह खबर इलेक्ट्रानिक मीडिया ने खूब प्रसारित किया। इसके बाद भी पारसनाथ का बालबाका नही हुआ तो उषा ने खुद स्टिगं आपरेशन करके एक चैनल को सौप दिया। चैनल पर पारसनाथ का स्टिगं आपरेशन प्रमुखता से चलाया गया तब कही जाकर सीएम अखिलेश यादव ने पूरे मामले जांचकर महिला की जमीन वापस दिलाने का फरमान जारी किया था।
उषा मौर्या ने बताया कि 30 सितम्बर 2015 वह स्टिगं की सीडी और सारे कागजात राज्यपाल राम नायिक को सौपा थी दूसरे दिन राज्यपाल की पहल पर एक अक्टुबर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर सारे कागजात और सीडी दिया। सीएम ने डीजीपी जगमोहन यादव को फोन करके मेरी समस्या का निदान कारने का आदेश दिया। मै दो अक्टुबर को डीजीपी से मुलाकात किया । डीजीपी ने एसपी जौनपुर राजू बाबू सिंह को फोन करके मेरी जमीन वापस दिलाने का फरमान जारी किया।
उषा ने बताया कि मेरे जौनपुर पहुंचने से पहले एसपी राजू बाबू सिंह थानाध्यक्ष लाईनबाजार राजमोहन यादव और चैकी इंचार्ज बालेन्दू ने मंत्री पारसनाथ यादव को पूरे मामले की जानकारी दे दिया। मै जौनपुर पहुंचकर एसपी से मुलाकात करने की कोशिश किया तो वे चार दिन तक टालते रहे चौथे दिन मुलाकात होने पर एसपी ने कहा कि जब आप ने स्टिगं आपरेशन करने के पारसनाथ के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करा सकी तो मै कैसे इस मामले कार्यवाही कर सकता हूं।