आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये एकजुट होने की जरूरतः मौलाना सैयद अली
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जौनपुर। शामे गरीबां की याद में तन्जीमे अजाये हुसैन की आल इण्डिया कदीम तरही शब्बेदारी रविवार को इमामबाड़ा कल्लू मरहूम में सम्पन्न हुई। 24 घण्टे तक चलने वाली इस शब्बेदारी में देश के 10 मातमी अंजुमनों सहित शहर की लगभग सभी अंजुमनों ने अपना कलाम पेश करके नौहा व मातम करके कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया जहां आखिरी मजलिस के बाद शबीहे ताबूत अलम व जुलजनाह बरामद हुआ। इसके पहले शनिवार को शब्बेदारी की शुरूआत तिलावते कलाम पाक से हुआ जिसके बाद सोजखानी मो मुस्लिम मरहूम के हमनवां ने पढ़ा जबकि पेशखानी सबा बनारसी अब्बास व इरफान जौनपुरी ने किया। मजलिस को खेताब करते हुये गाजीपुर से आये मौलाना सैयद अली ने कहा कि 14 सौ साल से भी अधिक समय हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों की शहादत को हो गया है लेकिन आज भी उनका गम सिर्फ इसलिये मनाया जाता है, ताकि दुनिया को यह पैगाम दिया जा सके कि जुल्म के आगे सर झुकाना नहीं चाहिये। उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद से निबटने के लिये सभी को एकजुट होने की आवश्यकता है। मजलिस के बाद देश की मशहूर अंजुमन हुसैनिया चैधराना उन्नाव, मोहम्मदी मोईनुल अजा कानपुर, हैदरी बनारस, नासीरूल अजा कोराली इलाहाबाद, कारवाने कर्बला बनारस, जब्बादिया बनारस, काजिमिया जफराबाद-जलालपुर अम्बेडकरनगर, आबिदिया फैजाबाद, हैदरिया अब्दुल्लापुर अकबरपुर, नौहा खां आफिर सुल्तानपुरी, खुर्शीद असरी बिजनौर, फरमान जंगीपुरी ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर पूरा माहौल गमगीन कर दिया। अलविदाई मजलिस डा. कमर अब्बास ने पढ़ा जिसके बाद शबीहे बरामद हुई। इस अवसर पर सै. अहसन अब्बास नकवी, शबीहुल हसन एडवोकेट, हसीन अहमद खां, सकलैन अहमद खां, वजीरूल हसन खां, हसीन मेंहदी, अहमद मेंहदी, अली इमाम, मेंहदी हुसैन सामिन, सै. अजादार हुसैन, इफ्तेखार हुसैन शब्दे, सदफ, शहजादे, अंजुम सईद जामिन, शाहिद मेंहदी, नेहाल हैदर, फैसल हसन तबरेज, आजम जैदी, सै. जुल्फकार हैदर, हसनैन कमर दीपू सहित सैकड़ों अजादार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अर्शी वास्ती दिल्ली व शोएब जैदी ने और लोगों के प्रति आभार अध्यक्ष शौकत अली व महासचिव तहसीन शाहिद ने संयुक्त रूप से जताया।