हिन्दी उपन्यास स्त्री सम्मान बढ़ने के साथ विकसित होता है
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जौनपुर। हिन्दी उपन्यास बहुपठित विधा है। भारत में हिन्दी उपन्यास स्त्री सम्मान के बढ़ने के साथ विकसित होता है और आज हिन्दी उपन्यास में बहुसंख्यक महिला लेखिकाएं इस विधा को और लोकप्रिय बना रही हैं। उक्त बातें राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में “हिन्दी उपन्यास एक रूप-रेखा“ विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में डा. धीरेन्द्र पटेल एसोसिएट प्रोफेसर सल्तनत बहादुर पीजी कालेज बदलापुर ने कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी उपन्यास को मुंशी प्रेमचन्द्र जी ने जो मजबूत नींव दी है, उसे जैनेन्द्र, यशपाल, फणीश्वर नाथ रेणु, श्रीलाल शुक्ल सहित अन्य उपन्यासकारों ने आगे बढ़ाया। आज के इस भूमण्डलीकरण के दौर में उत्तर औपनिवेशिक उपन्यास राही मासूम रजा, काशीनाथ सिंह के क्रमशः “आधा गाँव“, “रेहन पर रग्घू“, से होते हुए रणेन्द्र के “ग्लोबल गांव का देवता“, “गायब होता देश“ में रेखांकित होता है। डा. सुधा सिंह विभागाध्यक्ष हिन्दी ने डा. पटेल का स्वागत करते हुये कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर डा. अभय प्रताप सिंह, डा. विजय प्रताप तिवारी, डा. सुनीता गुप्ता, डा. मधु पाठक, डा. रागिनी राय, डा. सुधाकर शुक्ल सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। अन्त में डा. उर्मिला सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।