जौनपुर के किसान का सपना हुआ साकार विदेशो से आने लगे है पर्यटक उसके सुन्दर बगिया का दीदार करने , आप भी एक बार जुरूर जाईए उसके प्राकृतिक छटाओ का लुफ्त उठाने
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जौनपुर। धर्मापुर ब्लाक के इमलो गांव का एक युवा किसान ने अपनी बगिया इस कदर सजायी है जिसे देखने के लिए देश ही नही विदेशो से पर्यटक े आ रहे है। इस युवा किसान ने अपने बगिया में पेड़ पौधो तैयार करने के बाद उसे अपने हाथो से काटकर बजरंगबली शिवलिंग त्रिशुल गदा और शेर समेत कई धार्मिक सिब्बल का रूप दिया है। इस प्राकृतिक छटाओ का लुफ्त उठाने के लिए जौनपुर वाराणसी आजमगढ़ समेत प्रदेश के अन्य जिले से लोग आ रहे है वही अमेरिका से भी एक अधिकारियो दल यहां आकर इस खुबसूरत बगीचे का दीदार कर गया।
जौनपुर जिले से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित इमलो गांव का यह स्थान कोई सरकारी पार्क या किसी धनाड्य व्यक्ति का फार्म हाउस नही बल्की एक साधारण किसान ने अपने खून पसीने से इसको सीचा है। वह किसान है रामबचन बिन्द। रामबचन अपने गांव में पर्यटन स्थल बनाने के साथ साथ पर्यावरण बनाने का सपना लेकर अपनी जमीन पर पांच वर्ष पूर्व ही इन पेड़ पौधो को अपने खून पसीने से सिचना शुरू कर दिया था। पेड़ जैसे जैसे बड़े होते गये वैसे वैसे रामबचन अपने हाथो से तरासकर देवताओ और पशु पक्षी का रूप देता गया। जिसका परिणाम है कि उसके बागीचे में घुसते ही जंगल का राजा शेर दहाड़ मारते दिखाई पड़ जायेगा। उसके पास ही दो मोर नाच रहे है बगल में एक खुबसूरत कलश इस बगीचे की सुन्दरता को बढ़ा रही है। उसके बाद बजरंगबली सामने खड़े दिखाई देगें बगल में गणेश जी बिराजमान है। गणेश के पीछे शिवलिंग स्थापित है। बगल में विशाल त्रिशुल बनाया गया है। उसके पीछे स्वास्तिक चिन्ह पूरे बगीचे में धार्मिक भावना फैलाती दिखाई पड़ रही है। बगल में हाथी झूमती नजर आयेगी। सबसे पीछे एक मंदिर बनाया जा रहा है लेकिन अभी पूरी तरस से तैयार होने में दो महिने लग सकते है। मंदिर के पास गिधराज जटायू भी विराजमान है।इस तरह तमाम प्राकृतिक से जुड़ी आकृति पर्यटको को अपने तरफ आर्कषित कर रही है। रामबचन सपना अब साकार होता दिखाई पड़ रहा है। प्रतिदिन पूर्वाचंल के जनपदो से पर्यटक आने लगे है। अभी पिछले 15 दिसम्बर को अमेरिका से चार सदस्यीय टीम आकर इस खुबसूरत बगिया का दीदार कर गयी।
जौनपुर जिले से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित इमलो गांव का यह स्थान कोई सरकारी पार्क या किसी धनाड्य व्यक्ति का फार्म हाउस नही बल्की एक साधारण किसान ने अपने खून पसीने से इसको सीचा है। वह किसान है रामबचन बिन्द। रामबचन अपने गांव में पर्यटन स्थल बनाने के साथ साथ पर्यावरण बनाने का सपना लेकर अपनी जमीन पर पांच वर्ष पूर्व ही इन पेड़ पौधो को अपने खून पसीने से सिचना शुरू कर दिया था। पेड़ जैसे जैसे बड़े होते गये वैसे वैसे रामबचन अपने हाथो से तरासकर देवताओ और पशु पक्षी का रूप देता गया। जिसका परिणाम है कि उसके बागीचे में घुसते ही जंगल का राजा शेर दहाड़ मारते दिखाई पड़ जायेगा। उसके पास ही दो मोर नाच रहे है बगल में एक खुबसूरत कलश इस बगीचे की सुन्दरता को बढ़ा रही है। उसके बाद बजरंगबली सामने खड़े दिखाई देगें बगल में गणेश जी बिराजमान है। गणेश के पीछे शिवलिंग स्थापित है। बगल में विशाल त्रिशुल बनाया गया है। उसके पीछे स्वास्तिक चिन्ह पूरे बगीचे में धार्मिक भावना फैलाती दिखाई पड़ रही है। बगल में हाथी झूमती नजर आयेगी। सबसे पीछे एक मंदिर बनाया जा रहा है लेकिन अभी पूरी तरस से तैयार होने में दो महिने लग सकते है। मंदिर के पास गिधराज जटायू भी विराजमान है।इस तरह तमाम प्राकृतिक से जुड़ी आकृति पर्यटको को अपने तरफ आर्कषित कर रही है। रामबचन सपना अब साकार होता दिखाई पड़ रहा है। प्रतिदिन पूर्वाचंल के जनपदो से पर्यटक आने लगे है। अभी पिछले 15 दिसम्बर को अमेरिका से चार सदस्यीय टीम आकर इस खुबसूरत बगिया का दीदार कर गयी।