भौतिकता की आंधी में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहाः न्यायमूर्ति पंकज मित्तल
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नैतिकता, सफलता एवं उत्कृष्टताः एक जीवन पद्धति विषयक संगोष्ठी आयोजित
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान में स्थित शोध एवं नवाचार केन्द्र में नैतिकता, सफलता एवं उत्कृष्टताः एक जीवन पद्धति विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पंकज मित्तल ने कहा कि भौतिकता की आंधी में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। सुखद स्थिति यह है कि नैतिक शिक्षा द्वारा निर्मित व्यक्तित्व एवं चरित्र आज भी इस आंधी को रोकने में समर्थ एवं सक्षम है। उन्होंने कहा कि मजबूत समाज एवं राष्ट्र निर्माण के लिये नैतिकता जरूरी है। विशिष्ट अतिथि बिहार केन्द्रीय विवि पटना के पूर्व कुलपति प्रो. जनक पाण्डेय ने कहा कि व्यक्ति को अपने ज्ञान चक्षु को विकसित करने की जरूरत है। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे विद्यार्थियों को ज्ञान देने से पूर्व अपने ज्ञान विकसित करें। विशिष्ट अतिथि प्रबंध अध्ययन संस्थान बीएचयू के पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रो. आरके पाण्डेय ने कहा कि व्यक्तित्व का निर्माण होने से ही देश का निर्माण होगा। नैतिकता का सम्बन्ध बुद्धि व विवेक से है। अध्यक्षता कर रहे पूविवि के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि ‘जियो और जीने दो’ के वाक्य को अपने कर्तव्य पालन से ही आप सार्थक कर सकते हैं। आज व्यक्ति सूचना और प्रौद्योगिकी पर सवार होकर नये-नये अवसरों की सवारी करना चाहता है। इसके पहले अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुये प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि विश्वविद्यालयों का यह गुरूतर दायित्व है कि नैतिकता, सफलता, उत्कृष्टता जैसे विषय पर संवाद एवं परिचर्चा जारी रखी जाय। कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि से हुआ जिसके बाद विवि के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना एवं विवि कुलगीत की प्रस्तुति की गयी। साथ ही कुलपति द्वारा मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम् भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार कार्यक्रम सचिव डा. अविनाश पाथर्डिकर ने किया। इसके पहले मुख्य, विशिष्ट अतिथि एवं कुलपति ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व स्व. वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया। इसी क्रम में मुख्य अतिथि द्वारा विवेकानंद केन्द्रीय पुस्तकालय में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अनुदानित सेण्टर आॅफ एक्सलेंस का शुभारम्भ करते हुये पुस्तकालय के बारे में जानकारी प्राप्त किया। इस दौरान मानद् पुस्तकालयाध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय ने अतिथियों को पुस्तकालय के विविध आयामों से परिचित कराया। इसके बाद फार्मेसी भवन के द्वितीय तल पर निर्मित गोमती एवं सरयू खण्ड अनुसंधान एवं शोध केन्द्र का शुभारम्भ करते हुये उन्होंने निरीक्षण किया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एमके सिंह, कुलसचिव डा. देवराज, उप कुलसचिव डा. संजीव सिंह, डा. टीबी सिंह, प्रो. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. अजय सिंह, डा. एके श्रीवास्तव, डा. अजय द्विवेदी, डा. राम नारायण, डा. वंदना राय, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. प्रदीप कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार, डा. प्रवीण प्रकाश, डा. आशुतोष सिंह, डा. सौरभ पाल, डा. संतोष कुमार, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. मुराद अली, डा. नुपुर तिवारी, डा. संजीव गंगवार, डा. एसपी तिवारी,़ डा. रसिकेश, ऋषि श्रीवास्तव, अमित वत्स, एचएन यादव सहित तमाम शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे।
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान में स्थित शोध एवं नवाचार केन्द्र में नैतिकता, सफलता एवं उत्कृष्टताः एक जीवन पद्धति विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पंकज मित्तल ने कहा कि भौतिकता की आंधी में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। सुखद स्थिति यह है कि नैतिक शिक्षा द्वारा निर्मित व्यक्तित्व एवं चरित्र आज भी इस आंधी को रोकने में समर्थ एवं सक्षम है। उन्होंने कहा कि मजबूत समाज एवं राष्ट्र निर्माण के लिये नैतिकता जरूरी है। विशिष्ट अतिथि बिहार केन्द्रीय विवि पटना के पूर्व कुलपति प्रो. जनक पाण्डेय ने कहा कि व्यक्ति को अपने ज्ञान चक्षु को विकसित करने की जरूरत है। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे विद्यार्थियों को ज्ञान देने से पूर्व अपने ज्ञान विकसित करें। विशिष्ट अतिथि प्रबंध अध्ययन संस्थान बीएचयू के पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रो. आरके पाण्डेय ने कहा कि व्यक्तित्व का निर्माण होने से ही देश का निर्माण होगा। नैतिकता का सम्बन्ध बुद्धि व विवेक से है। अध्यक्षता कर रहे पूविवि के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि ‘जियो और जीने दो’ के वाक्य को अपने कर्तव्य पालन से ही आप सार्थक कर सकते हैं। आज व्यक्ति सूचना और प्रौद्योगिकी पर सवार होकर नये-नये अवसरों की सवारी करना चाहता है। इसके पहले अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुये प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि विश्वविद्यालयों का यह गुरूतर दायित्व है कि नैतिकता, सफलता, उत्कृष्टता जैसे विषय पर संवाद एवं परिचर्चा जारी रखी जाय। कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि से हुआ जिसके बाद विवि के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना एवं विवि कुलगीत की प्रस्तुति की गयी। साथ ही कुलपति द्वारा मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम् भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार कार्यक्रम सचिव डा. अविनाश पाथर्डिकर ने किया। इसके पहले मुख्य, विशिष्ट अतिथि एवं कुलपति ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व स्व. वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया। इसी क्रम में मुख्य अतिथि द्वारा विवेकानंद केन्द्रीय पुस्तकालय में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अनुदानित सेण्टर आॅफ एक्सलेंस का शुभारम्भ करते हुये पुस्तकालय के बारे में जानकारी प्राप्त किया। इस दौरान मानद् पुस्तकालयाध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय ने अतिथियों को पुस्तकालय के विविध आयामों से परिचित कराया। इसके बाद फार्मेसी भवन के द्वितीय तल पर निर्मित गोमती एवं सरयू खण्ड अनुसंधान एवं शोध केन्द्र का शुभारम्भ करते हुये उन्होंने निरीक्षण किया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एमके सिंह, कुलसचिव डा. देवराज, उप कुलसचिव डा. संजीव सिंह, डा. टीबी सिंह, प्रो. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. अजय सिंह, डा. एके श्रीवास्तव, डा. अजय द्विवेदी, डा. राम नारायण, डा. वंदना राय, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. प्रदीप कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार, डा. प्रवीण प्रकाश, डा. आशुतोष सिंह, डा. सौरभ पाल, डा. संतोष कुमार, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. मुराद अली, डा. नुपुर तिवारी, डा. संजीव गंगवार, डा. एसपी तिवारी,़ डा. रसिकेश, ऋषि श्रीवास्तव, अमित वत्स, एचएन यादव सहित तमाम शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे।