सावधान जौनपुर ! यहाँ भी हो सकती है बुन्देलखण्ड, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे हालत
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आज से करीब एक दशक पूर्व तक जौनपुर पानीदार हुआ करता था यहां के हर गांव में तालाब पानी से लबालब दिखाई पड़ता था। कुएं के पानी से लोग अपनी प्यास बुझाया करते थे। जिले में बहने वाली गोमती सई पीली बसुई और वरूणा नदी कल कल कल करती बहती थी। इन नदियो के किनारे बसे ग्रामीणो की लाईफ लाईन होती थी। लेकिन बढ़ती जन संख्या और आधुनिकता की चकाचौध में आकर मनुष्य खुद कालीदास बनकर अपने ही जीवन रेखा की डोर को खुद से काटना शुरू कर दिया। जंगल बगीचो को काटकर कंकरीट के जंगल विछा दिया जिसके कारण वर्षा कम होने कारण नदियां खुद प्यासी हो गयी उधर वाटर लेवल लगातार गिरता जा रहा है जिसका दुष्परिणाम है कि आज कुएं का अस्तित्व समाप्त हो गया है हैण्ड पम्प पानी उगलना बंद कर दिया है। जल निगम विभाग के प्रदीप अस्थाना के अनुसार सन् 2000 तक 80 फीट पर पीने योग्य पानी मिल जाता था आज 120 फीट पर पानी मिल रहा है। उन्होने बताया कि सिरकोनी जलालपुर धर्मापुर मुफ्तीगंज केराकत और डोभी समेत 11 ब्लाक में 120 फीट तक पानी नही मिल रहा है जिसके कारण इन ब्लाको को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है।
अब जो पानी बचा है उसे आम जनता सबरसेबल के माध्यम से दोहन कर रही है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नही दिया गया तो आने वाले समय में पानी की एक एक बूंद के लिए जनता तरसेगी।
हलांकि सरकार ने वाटर रिचार्ज के लिए मनरेगा योजना के तहत तलाब की खुदाई और सफाई कराने और उसमे पानी भरने की योजना चला रही है लेकिन वह कागजो पर अधिक दिखाई पड़ रहा है। लेकिन ग्राउण्ड लेबल काफी कम ही नजर आ रहा है।