मानव का सत्कर्म ही जीवन का पुण्य है : तुलसी शरण
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भदोही । 26 मई । जीवन में जहाँ सत्कर्म होता है वहीँ पुण्य होता है । जहाँ पुण्य वहीँ सुंदरता है । प्रभु माया से मुक्त है । भक्ति जीवन का सबसे परम आनँद है । यह बात अभिया के पुरेदरियाव गाँव में चल रहीं सप्त दिवसीय रामकथा ज्ञान यज्ञ में मानस मर्मज्ञ पंडित तुलसी शरण महराज ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा । कथा का आज अंतिम दिन रहा ।राम विवाह पर रहा । इस दौरान काफी संख्या में महिलाएँ भी कथा श्रवण को मौजूद रहीं ।
परमात्मा को जानना आसान नहीँ है । भगवान शिव ने शिव धनुष को परसुराम को दिया था । बाद में महाराज जनक की तपस्या के बाद धनुष परसुराम ने जनक को दिया । उसी पर जनक जी ने मख यज्ञ का आयोजन कर परम ब्रह्म श्रीराम का सीता विवाह में दर्शन किया । भक्ति के जीवन में भगवान और ज्ञानी के जीवन में भक्ति आ जाय तो जीवन सफल हो जाता है । भगवान को भक्त का कार्य करने में आन्नन्द मिलता है । जीवन का सूख भगवान की भक्ति और भजन है । अभिमानी को प्रभु का दर्शन नहीँ मिलता है । जनकपुर में बच्चों को सबसे पहले प्रभु का दर्शन हुआ था । क्योंकि उनमें अभिमान नही होता है । जनकपुर में भगवान की छबि देखने को सखियों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रभु की सुंदरता अनुपम है । सीता विवाह की कथा के बाद प्रवचन को व्यास ने विराम दिया । बोले भगवान की कथा अनंत है । इसे दिवसों में नही समेटा जा सकता है । आरती के दौरान भक्ति में डूब लोग खुद की सुधबुध को बैठे । भक्तिमय गीतों पर लोग नाचते दिखे । इस दौरान कथा के आयोजक पंडित गुलाब चंद्र दुबे के पुत्र राकेश दुबे , अवधेश कुमार दुबे ने आये हुए भक्तों के प्रति आभर प्रगट किया । इस दौरान रामनिधि दुबे , रामचंद्र दुबे , रवि दुबे , दिनेश दुबे , कड़ेदीन दुबे , बब्बू दुबे , छोटेलाल मिश्र , लालचंद शुक्ल , लालचंद सिंह , सुनील सिंह , मुन्ना पाण्डेय , शैलेश शुक्ल , नेमधर दुबे , शोभा शंकर शुक्ल , रमेशचंद्र शुक्ल , रामधनी दुबे , देवराज दुबे , वकील दुबे , डाक्टर दुबे , कल्लर दुबे , अवध नरायन मिश्र , गुलाब सिंह , लालधर मौर्य और काफी संख्या में भक्त मौजूद
परमात्मा को जानना आसान नहीँ है । भगवान शिव ने शिव धनुष को परसुराम को दिया था । बाद में महाराज जनक की तपस्या के बाद धनुष परसुराम ने जनक को दिया । उसी पर जनक जी ने मख यज्ञ का आयोजन कर परम ब्रह्म श्रीराम का सीता विवाह में दर्शन किया । भक्ति के जीवन में भगवान और ज्ञानी के जीवन में भक्ति आ जाय तो जीवन सफल हो जाता है । भगवान को भक्त का कार्य करने में आन्नन्द मिलता है । जीवन का सूख भगवान की भक्ति और भजन है । अभिमानी को प्रभु का दर्शन नहीँ मिलता है । जनकपुर में बच्चों को सबसे पहले प्रभु का दर्शन हुआ था । क्योंकि उनमें अभिमान नही होता है । जनकपुर में भगवान की छबि देखने को सखियों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रभु की सुंदरता अनुपम है । सीता विवाह की कथा के बाद प्रवचन को व्यास ने विराम दिया । बोले भगवान की कथा अनंत है । इसे दिवसों में नही समेटा जा सकता है । आरती के दौरान भक्ति में डूब लोग खुद की सुधबुध को बैठे । भक्तिमय गीतों पर लोग नाचते दिखे । इस दौरान कथा के आयोजक पंडित गुलाब चंद्र दुबे के पुत्र राकेश दुबे , अवधेश कुमार दुबे ने आये हुए भक्तों के प्रति आभर प्रगट किया । इस दौरान रामनिधि दुबे , रामचंद्र दुबे , रवि दुबे , दिनेश दुबे , कड़ेदीन दुबे , बब्बू दुबे , छोटेलाल मिश्र , लालचंद शुक्ल , लालचंद सिंह , सुनील सिंह , मुन्ना पाण्डेय , शैलेश शुक्ल , नेमधर दुबे , शोभा शंकर शुक्ल , रमेशचंद्र शुक्ल , रामधनी दुबे , देवराज दुबे , वकील दुबे , डाक्टर दुबे , कल्लर दुबे , अवध नरायन मिश्र , गुलाब सिंह , लालधर मौर्य और काफी संख्या में भक्त मौजूद