माह-ए-रमजान की बरकत से मालामाल हो रहे दुकानदार
https://www.shirazehind.com/2016/06/blog-post_901.html
जेड. हुसैन
जौनपुर। माह-ए-रमजान को इस्लाम में बरकतों, रहमतों व फजीलतों का महीना कहा गया है। क्योंकि इस महीने में खुदा अपने बंदों पर बेपनाह रहम करता है। माह-ए-रमजान शुरू होते ही मस्जिदों में नमाजियों की तादाद बढ़ गयी इसके साथ ही साथ बाजारों में भी रौनक आ गयी। सुबह से लेकर रात तक बाजार की हर दुकानों वो चाहे रेडिमेट गारमेंट्स हो या चूते चप्पल व खाने पीने की वहां पर भारी संख्या में भीड़ देखने को मिल रही है। रोजेदार सेहरी व इफ्तार करने के लिए खूब खरीदारी करते देखे जा रहे हैं। रमजान धीरे-धीरे खत्म होने की ओर बढ़ रहा है तो वहीं ईद आने को है। ईद को लेकर मुस्लिम समुदाय में खुशियां देखी जा रही है। सुबह से लेकर देर रात तक नगर के ओलन्दगंज, शाही पुल, अटाला मस्जिद, कोतवाली चौराहा समेत वी मार्ट, कोलकालात बाजार, यूनिक बाजार, वी-2 जैसे शापिंग माल में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि पन्द्रह रमजान से लेकर चांद रात तक पूरे जिले में करोड़ों का कारोबार होगा। सिर्फ शहरी क्षेत्र की बात करें तो बीस रमजान से लेकर चांद रात तक 15-20 करोड़ का कारोबार अकेले रेडिमेट गारमेंट्स के व्यापारी करते हैं। जिस तरफ देखिये हर दुकान पर गजब की भीड़ दिखाई दे रही है। मालूम हो कि माह-ए-रमजान में नये कपड़े, जूते चप्पल लेना जरूरी समझा जाता है इसलिए इतनी भारी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग शापिंग करते देखे जा रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि रमजान मुबारक की बरकतों से दुकानदार भी मालामाल हो रहे हैं और हो भी क्यों न क्योंकि ये महीना ही ऐसा है। उलमा-ए-दीन का कहना है कि जाहिरी तौर पर माह भर रोजा रखने के बाद नये कपड़े व नये सामान खुदा की तरफ से अपने बंदों के लिए तोहफा होता है। हालांकि रमजान मुबारक की बरकतों को कागजों पर महदूद नहीं किया जा सकता। इसकी फजीलते बेशुमार हैं। इन्हे शुमार नहीं किया जा सकता। ईद का चांद दिखने में अब चंद दिनों की दूरी है। ईद का चांद दिखते ही बाजार में रौनक दोगुनी हो जाती है। रमजान के महीने में हर मुस्लिम पर जकात वाजिब कर दी गयी क्योंकि गरीब से गरीब लोग ईद में कपड़ा व खाने की जरूरी चीजों को खरीद सकें ताकि हर तबका ईद की खुशियों में शरीक हो सके।
जौनपुर। माह-ए-रमजान को इस्लाम में बरकतों, रहमतों व फजीलतों का महीना कहा गया है। क्योंकि इस महीने में खुदा अपने बंदों पर बेपनाह रहम करता है। माह-ए-रमजान शुरू होते ही मस्जिदों में नमाजियों की तादाद बढ़ गयी इसके साथ ही साथ बाजारों में भी रौनक आ गयी। सुबह से लेकर रात तक बाजार की हर दुकानों वो चाहे रेडिमेट गारमेंट्स हो या चूते चप्पल व खाने पीने की वहां पर भारी संख्या में भीड़ देखने को मिल रही है। रोजेदार सेहरी व इफ्तार करने के लिए खूब खरीदारी करते देखे जा रहे हैं। रमजान धीरे-धीरे खत्म होने की ओर बढ़ रहा है तो वहीं ईद आने को है। ईद को लेकर मुस्लिम समुदाय में खुशियां देखी जा रही है। सुबह से लेकर देर रात तक नगर के ओलन्दगंज, शाही पुल, अटाला मस्जिद, कोतवाली चौराहा समेत वी मार्ट, कोलकालात बाजार, यूनिक बाजार, वी-2 जैसे शापिंग माल में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि पन्द्रह रमजान से लेकर चांद रात तक पूरे जिले में करोड़ों का कारोबार होगा। सिर्फ शहरी क्षेत्र की बात करें तो बीस रमजान से लेकर चांद रात तक 15-20 करोड़ का कारोबार अकेले रेडिमेट गारमेंट्स के व्यापारी करते हैं। जिस तरफ देखिये हर दुकान पर गजब की भीड़ दिखाई दे रही है। मालूम हो कि माह-ए-रमजान में नये कपड़े, जूते चप्पल लेना जरूरी समझा जाता है इसलिए इतनी भारी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग शापिंग करते देखे जा रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि रमजान मुबारक की बरकतों से दुकानदार भी मालामाल हो रहे हैं और हो भी क्यों न क्योंकि ये महीना ही ऐसा है। उलमा-ए-दीन का कहना है कि जाहिरी तौर पर माह भर रोजा रखने के बाद नये कपड़े व नये सामान खुदा की तरफ से अपने बंदों के लिए तोहफा होता है। हालांकि रमजान मुबारक की बरकतों को कागजों पर महदूद नहीं किया जा सकता। इसकी फजीलते बेशुमार हैं। इन्हे शुमार नहीं किया जा सकता। ईद का चांद दिखने में अब चंद दिनों की दूरी है। ईद का चांद दिखते ही बाजार में रौनक दोगुनी हो जाती है। रमजान के महीने में हर मुस्लिम पर जकात वाजिब कर दी गयी क्योंकि गरीब से गरीब लोग ईद में कपड़ा व खाने की जरूरी चीजों को खरीद सकें ताकि हर तबका ईद की खुशियों में शरीक हो सके।