जौनपुर में अलविदा जुमे की नमाज सम्पन्न
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जौनपुर। रमजान के अलविदा जुमे की नमाज शुक्रवार को जनपद के विभिन्न मस्जिदों विशेषकर अटाला मस्जिद, बड़ी मस्जिद, शिया जामा मस्जिद, जफराबाद, कजगांव, बादशाहपुर, शाहगंज, खेतासराय, केराकत, जलालपुर, मछलीशहर, मड़ियाहूं में हजारों की संख्या में नमाजियों ने अदा की। इसी क्रम में शिया जामा मस्जिद कसेरी बाजार में इमाम-ए-जुमा मौलाना महफूजुल हसन खां ने खुतबा देते हुये मुसलमानों का आवाह्न किया कि वह मिल्लत में भाईचारा पैदा करें। मस्जिद के मुतवल्ली/सेक्रेटरी शेख अली मंजर डेजी ने नमाज के बाद देश में सुख, शांति, अमन व खुशहाली की दुआ करायी और कहा कि हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि हमारे देश की सेकुलर परम्पराएं कायम रहें। मस्जिद के प्रवक्ता असलम नकवी ने सभी नमाजियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जौनपुर अजादारी कौंसिल के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद हसन, महासचिव मिर्जा जावेद सुल्तान, तालिब रजा एडवोकेट, अकबर जैदी, तहसीन अब्बास सोनी, डा. हाशिम खां, मोहम्मद मुस्लिम हीरा, इश्तेयाक सलमानी, अली अनुश, जाकिर जैदी, आसिफ आब्दी, ऋषि खान, अहमद, नासिर रजा, तकी हैदर, शहजादे, शकील सहित मस्जिद इन्तेजामिया कमेटी के सदस्य मौजूद रहे।
करंजा खुर्द में अदा की गयी अलविदा जुमे की नमाज
जौनपुर। करंजाकला क्षेत्र के करंजा खुर्द में स्थित जामा मस्जिद में अलविदा जुमे की नमाज अदा करायी गयी। इस मौके पर मौलाना मनाजिरुल हसनैन ने खुत्बे में कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है जिसमें मुसलमानों ने आंतकवाद के खिलाफ जमकर नारे लगाये और दुनिया भर में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एहतेजाज किया। उन्होंने बताया कि रमजान के आखिरी जुमे को यौमे कुद्स के नाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की शुरुआत मुस्लिम जगत के एक महान हस्ती इमाम खुमैनी साहब के निर्देश से हुई। इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा ने मजलूमों की हिमायत को अपना फर्ज मानने के लिये एक मशहूर हदीस में फरमाया। कुद्स का यह दिवस सभी धर्मों के लोगों के लिये जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने का एक अनमोल मौका होने के साथ मुसलमानों के लिये एक धार्मिक फरीजे की भी हैसियत रखता है जिसमें दुनिया में जहां कहीं भी जुल्म हो रहा है, सभी जगहें शामिल हैं।
करंजा खुर्द में अदा की गयी अलविदा जुमे की नमाज
जौनपुर। करंजाकला क्षेत्र के करंजा खुर्द में स्थित जामा मस्जिद में अलविदा जुमे की नमाज अदा करायी गयी। इस मौके पर मौलाना मनाजिरुल हसनैन ने खुत्बे में कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है जिसमें मुसलमानों ने आंतकवाद के खिलाफ जमकर नारे लगाये और दुनिया भर में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एहतेजाज किया। उन्होंने बताया कि रमजान के आखिरी जुमे को यौमे कुद्स के नाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की शुरुआत मुस्लिम जगत के एक महान हस्ती इमाम खुमैनी साहब के निर्देश से हुई। इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा ने मजलूमों की हिमायत को अपना फर्ज मानने के लिये एक मशहूर हदीस में फरमाया। कुद्स का यह दिवस सभी धर्मों के लोगों के लिये जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने का एक अनमोल मौका होने के साथ मुसलमानों के लिये एक धार्मिक फरीजे की भी हैसियत रखता है जिसमें दुनिया में जहां कहीं भी जुल्म हो रहा है, सभी जगहें शामिल हैं।
