ध्वस्त हो रही जर्जर इमारतें
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जौनपुर। बारिश ने गरीबों को और परेशान कर दिया है। जर्जर इमारतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कई घर गिरकर लोग मौत की नींद सो गये है। तमाम भवन गिरने के कगार पर हैं जिससे कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकती है। इसमें कुछ तो कुछ आवासीय और कुछ सरकारी। पर इनका रखरखाव कैसे होगा, यह बताने वाला कोई नहीं है। शहर में इन इमारतों की भरमार है। यह इमारतें अपनी आयु भी पूरी कर चुकी हैं। जर्जर इमारतों में रहने से लोगों को भले ही चन्द रूपये की बचत हो लेकिन उनकी जान का जोखिम बना हुआ है। उनका कहना है कि वे वर्षो से रह रहे हैं और उन्हे किराया भी कम देना पड़ता है। भवन स्वामी व किरायेदार के न देखने के कारण यह इमारतें दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही हैं। कब भरभराकर गिर जाये इसका कोई ठिकाना नहीं। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी बड़ी अनहोनी से इन्कार नहीं किया जा सकता। दन जर्जर इमारतों को निष्पयोज्य करने का दायित्व सरकार की जिस संस्था का है उसके पास फुर्सत नहीं कि जो इस प्रकार की इमारतों को देख सके। बीच शहर में ऐसी इमारतें है जो कब ध्वस्त हो जाय इसका अता पता नहीं है। बारिश आने से इलके गिरने का खतरा और बढ़ जाता है। अभी हाल में ही में कोतचाली चैराहे के निकट एक जर्जर इमारत ध्वस्त हुई लेकिन संयोंग से कोई बढ़ा खतरा नही हुआ। यदि जल्द ही इन इमारतों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हादसा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।