गांवों में था दीवाली जैसा नजारा

 
जौनपुर। आजादी से एक दिन पहले तक गांवों में भी चर्चायें पहुंच चुकी थीं। 14 अगस्त 1947 की शाम से प्रत्येक गांव में दीपावली जैसा नजारा था। लोग परिवारवालों के साथ भारत माता की जय के नारे लगाते हुए गलियों में घूमे थे। यह कहना है यह कहना है कि मछली शहर तहसील के चैलहां गांव निवासी बजृमोहन मौर्य का। वह कहते हैं, गांव में पढ़ाई कर रहा था। इस बीच आजादी के दीवानों को लेकर जानकारियां मिलती रहती थीं। कई बार यहांतक भी चिंगारी पहुंची। 1950 में आजादी के तीन साल बीत चुके थे। इसके बाद भी लोगों के अंदर असहजता के भाव नजर आते थे। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हुआ। कस्बे का फैलाव तेजी के साथ हुआ। श्री मौर्य कहते हैं, आजादी तो मिली पर पहले की तरह के हालात अब नहीं रहे। हर तरफ धोखाधड़ी व चापलूसी का आलम है। अपनों पर ही वार हो रहे हैं। युवा भी भटक चुके हैं। आधुनिकता की सोच ने सब छिन्न-भिन्न कर दिया है। वह पुराने दिनों की यादें ताजा करते हुए लंबी सांस लेकर आह भी भरते हैं। कहा कि अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है, बस लोग सोचकर संभल जाएं।

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