दलित मुस्लिमों को मिले आरक्षण

जौनपुर। ओलमा कौसिल की जिला इकाई ने मुस्लिम एवं इसाई दलित से आरक्षण छीने जाने के विरोध में बुधवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौपा। कौसिल के जिलाध्यक्ष अंसार अहमद खान ने बताया कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देता। आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं आर्थिक एवं समाजिक अवस्था के आधार पर दिया जाना चाहिए। परन्तु यह चिन्ताजनक है कि कांग्रेस ने 10 अगस्त 1950 को एक विशेष अध्यादेश पास कर शर्त लागू कर दिया कि हिन्दू धर्म को छोड़कर अन्य धर्म को मानने वाले अनुसूचित जाति के नहीं माने जायेगे और इससे मिलने वाले आरक्षण के लाभ के योग्य नहीं होगें। सरकार के विरूद्ध आन्दोलन होने पर सिक्खों को और बौध धर्म मानने वालों को सूची में जोड़ दिया गया। परन्तु मुस्लिम और इसाई अति दलितों को आज भी इस सूची से बाहर रखा गया। उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होने कहा कि अन्यायपूर्ण भेदभाव के कारण मोची, नट, दफाली, हलालखोर हेला ऐसी तमाम जातियां दलित सरकारी नौकरियां, राजनीति, शिक्षा रोजगार आदि में आरक्षण पाती है। जबकि वही पेशा करने वाले मुसलमान व इसाई जातियों को उससे वचित रखा गया। कौसिल इस अन्याय के विरूद्ध पहले से आवाज उठा रही है। वर्ष 2014 में जन्तर मंतर पर 18 दिन भूख हड़ताल कर धरना दिया था। मौलाना मुस्तफा, शहाबुद्दीन, मतीउद्दीन, बाबा फैयाज, जाहिद सिद्दी, अब्दुल कलाम, अली मंजर, इकरार खान, महताब आलम, वीरेन्द्र सिंह, अफरोज आलम आदि मौजूद रहे।

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