झूठ बोलते है मछलीशहर के सांसद रामचरित निषाद
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जौनपुर। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लिए कुर्बान होने वाले शहीदों के प्रति संवेदनशील है वही उनके सांसद शहीदों के प्रति पूरी तरह से उदासीन है। इसकी मिशाल है मछलीशहर के भजपा सांसद रामचरित निषाद ! ये सांसद महोदय अपने निधि से शहीद के नाम पर स्मृति द्वार , शहीद की मूर्ति स्थापित करने की दूर की बात गांव में एक भी विकास कार्य नही किया ऊपर से ये साहब शहीद के परिजनों को केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा मिलने वाली सभी आर्थिक सहयोग दिलाने का झूठा दावा भी कर रहे है।
बीते 26 जून को कश्मीर के राजौरी के पास गस्त करके लौट रही सीआरपीएफ के वाहन पर आतंकवादियो ने बम से हमला कर दिया था। इस वारदात में जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र भौरा गांव के निवासी संजय सिंह समेत आठ जवान शहीद हो गए थे। जब संजय का पार्थिक शरीर उनके गांव आया था उस समय जिले का कोई सांसद, विधायक , मंत्री समेत कोई जनप्रतिनिधि उन्हें अंतिम विदाई देने नही पहुंचा था। नेताओ की उदासीनता की खबर शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम पर पोस्ट किया गया तो जनप्रतिनिधियो की खूब किरकिरी हुई थी। शर्म से डूबे कई नेता दूसरे दिन से एक एक करके शहीद के घर पहुंचकर अपनी शोक संवेदना प्रकट किया। इसी कड़ी में क्षेत्रीय सांसद रामचरित निषाद भी शहीद संजय के घर पहुंचकर शोक संवेदना प्रकट किया। उसके बाद से सांसद जी शहीद के गांव में जाना तो दूर की बात फोन तक से शहीद के परिवार वालो का हालचाल नही लिया।
आज मीडिया द्वारा उनसे शहीद संजय और उनके परिवार वालो को क्या सुविधाएं मुहैया कराने का सवाल किया गया तो वो कैमरे के सामने झूठ पुलिंदा खोल दिया। उन्होंने साफ कहा कि केंद्र और प्रदेश से मिलने वाली सारी सहायता राशि दिलाने का दावा किया। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा घोषित किया गया बीस लाख रूपये में से आज तक फूटी कौड़ी नही मिला है। जब उन्हे बताया गया कि प्रदेश का पैसा आज तक नही मिला है तो वे बगली झांकते हुए कहा मुझे उनके परिवार वालो ने बताया ही नही। इसके बाद वे बार बार एक ही बात रटते रहे कि मैंने उनके पिता अनुरोध पर संजय की शहीद होने वाली वर्दी दिलाई है। केंद्र सरकार और सेना द्वारा मिलने वाला पैसा अपने आप शहीद के परिवार को मिल जाता है इसमें किसी पैरवी की जरुरत ही नही है।
सांसद ने जब उनके निधि से शहीद के घर पर सोलर लाइट , हैण्ड पम्प , स्मृति द्वार और मूर्ति स्थापित न कराने पर सवाल किया गया तो वो कुछ आक्रोशित होते हुए कहा कि जब शहीद का परिवार मांग करेगा तब मैं यह कार्य करूँगा।