नोट बंदी का असर : किसान अपने खून पसीने से सींचकर पैदा की गई सब्जियों को बेच रहे है कौड़ियो के भाव
https://www.shirazehind.com/2016/11/blog-post_689.html
जौनपुर। मोदी सरकार ने एक हजार और पांच रूपये को बंद करने का बुरा असर आम जनता समेत हर वर्ग पर पड़ा है। लोग अपना नोट जमा करने बैंको में लाइन लगाए उधर बाज़ारो में आर्थिक मंदी जैसे हालात हो गया है मंडियो में सब्जियां सड़गल रही है ऐसे में किसान अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई को औने पौने दामो में बेच रहा है। इसके बाद भी ग्राहक नही दिखाई दे रहे है। उधर गल्ला मण्डी में सियापा छाया हुआ है। व्यापारी किसी तरह से अपना एक एक दिन किसी तरह काट रहे है।
जौनपुर नगर के इस सब्जी मण्डी में भोर से लेकर देर रात तक किसान , व्यापारी और ग्राहकों से गुलजार हुआ करती थी। लोग सब्जी खरीदने और बेचने के लिए धक्का खाते थे। लेकिन बीते आठ नवम्बर से केंद्र सरकार द्वारा एक हजार और पांच सौ रूपये बंद होने से इस मण्डी की क़मर तोड़ दिया है। किसान अपनी गाढ़ी मेहनत से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए आते है लेकिन व्यापारी ग्राहकों की आमद कम होने के कारण सब्जी लेने से इंकार कर दे रहे है जिसके कारण किसानों को अपने खून पसीने से सींचकर पैदा की गई सब्जियों को कौड़ियो के भाव बेचने को मज़बूर है। व्यापारियों का रोना है जिस दिन से नोट बंद करने का ऐलान हुआ है उसी दिन से यहाँ मात्र 25 प्रतिशत खरीददारी हो रही है।
गल्ला मण्डी की हालात तो सब्जी मण्डी से भी जादा नाजुक है। यहाँ के गोदामो में अनाज तो भरा है लेकिन व्यापारी और ग्राहक नदारत है। एक दिन में करोडो रूपये का कारोबार होने इस मण्डी में किसी की तो बोहनी तक नही हो रही है। व्यापारियों ने मार्केट करना भी बंद कर दिया है। बड़े कारोबारियों का रोना है कि एक तरह बिक्री पूरी तरह से ठप्प है दूसरी तरफ हमारा पैसा छोटे व्यापारियों के पास डम्प हो गया है।
यदि जल्द ही सरकार ने कोई ठोस निर्णय नही लिया तो हालात और नाजुक हो जायेगा जिसका खामियाजा बीजेपी को विधान सभा चुनाव 2017 में भुगतना पड़ सकता है
जौनपुर नगर के इस सब्जी मण्डी में भोर से लेकर देर रात तक किसान , व्यापारी और ग्राहकों से गुलजार हुआ करती थी। लोग सब्जी खरीदने और बेचने के लिए धक्का खाते थे। लेकिन बीते आठ नवम्बर से केंद्र सरकार द्वारा एक हजार और पांच सौ रूपये बंद होने से इस मण्डी की क़मर तोड़ दिया है। किसान अपनी गाढ़ी मेहनत से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए आते है लेकिन व्यापारी ग्राहकों की आमद कम होने के कारण सब्जी लेने से इंकार कर दे रहे है जिसके कारण किसानों को अपने खून पसीने से सींचकर पैदा की गई सब्जियों को कौड़ियो के भाव बेचने को मज़बूर है। व्यापारियों का रोना है जिस दिन से नोट बंद करने का ऐलान हुआ है उसी दिन से यहाँ मात्र 25 प्रतिशत खरीददारी हो रही है।
गल्ला मण्डी की हालात तो सब्जी मण्डी से भी जादा नाजुक है। यहाँ के गोदामो में अनाज तो भरा है लेकिन व्यापारी और ग्राहक नदारत है। एक दिन में करोडो रूपये का कारोबार होने इस मण्डी में किसी की तो बोहनी तक नही हो रही है। व्यापारियों ने मार्केट करना भी बंद कर दिया है। बड़े कारोबारियों का रोना है कि एक तरह बिक्री पूरी तरह से ठप्प है दूसरी तरफ हमारा पैसा छोटे व्यापारियों के पास डम्प हो गया है।
यदि जल्द ही सरकार ने कोई ठोस निर्णय नही लिया तो हालात और नाजुक हो जायेगा जिसका खामियाजा बीजेपी को विधान सभा चुनाव 2017 में भुगतना पड़ सकता है