शहीद आशुतोष यादव को नम आँखों से दी गई अंतिम विदाई

जौनपुर। बदलापुर  तहसील के सुल्तानपुर गांव निवासी आशुतोष का शव आते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिस जनों  शहीद को सलामी दी तथा हजारों लोगों ने  नम आंखों से श्रद्धांसुमन अर्पित किया। ज्ञात हो कि शहीद आशुतोष का गौना 21 दिन बाद आने वाला था। परिवार में नई बहू को लाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन विधाता को यह कबूल न था। शायद यही वजह है कि फोन पर पत्नी के साथ सुनहरे कल के सपने का ताना-बाना बुनने वाला देश का यह लाल उसे हकीकत में नहीं बदल सका। जीवन की नई पारी शुरु करने के पहले ही वह पत्नी को सुनहरे कल के सपने दिखाते हुए छोड़ गया। गौना आने के पहले ही पति के शहीद होने की जानकारी होते ही ससुराल पहुंची मधु को देखकर हर कोई भाग्य को कोस रहा था।
महराजगंज ब्लाक के डेल्हुपुर निवासी रतिराम यादव ने अपनी पुत्री मधु की शादी 24 अप्रैल 2016 को बदलापुर सुल्तानपुर निवासी शहीद आशुतोष के साथ धूमधाम से किया।दोनों पर फोन पर बातें होती थी। दीपावली की छुट्टी में आने के बाद गौना में ही आने की बात कहकर ड्यूटी पर गए आशुतोष को भी घर आने की जल्दी थी। परिजनों के मुताबिक दीपावली की छुट्टी में आए आशुतोष की मधु से अंतिम बार मुलाकात भी हुई थी। 9 मार्च को निर्धारित गौना में आने की बात कहकर वह ड्यूटी पर गया था लेकिन उसे क्या पता था कि वह जिस सपने को साकार करने के लिए बेताब हैं वह ऊपर वाले को मंजूर नहीं है। घटना की जानकारी होने पर मंगलवार को बेसुध सुल्तानपुर गांव स्थित पति के घर पहुंची मधु बदहवास हो गई थी। बिलखते हुए वो बोल रही थी सुबह ट्रेन पकड़ते समय 5रू10 बजे उसकी पति से अंतिम बार बात हुई थी। जिसे देख लोग यह सोचने को 9 माह 21 दिन में ही शहीद की पत्नी मधु का सिंदूर मिट गया। मधु के सारे अरमानों पर विधाता का तुषारापात उसे कहीं का नहीं छोड़ा।पति के मौत के बाद आशुतोष पर ही परिवार की जिम्मेदारी थी। मां शीला देवी घर का सारा कामकाज देखती थी। छोटा भाई संदीप बीएचयू में अध्ययन रत है, जबकि बहन पूनम बीए प्रथम वर्ष और छोटी बहन पूजा कक्षा 11 की पढ़ाई कर रही है। जिनका वहीं खर्च वहन कर रहा था। श्रीनगर में आतंकी हमले में शहीद आशुतोष की पत्नी मधु को उस समय लखनऊ से वापस आना पड़ा जब मोबाइल पर सूचना मिली कि आशुतोष घायल हो गया है।मधु शिकोहाबाद से बीटीसी कर रही थी। मंगलवार को वह वरुणा से शिकोहाबाद बीटीसी की डिग्री लेने जा रही थी। लखनऊ पहुंचने पर उसे सूचना मिली कि आशुतोष घायल हो गया है और उसे वापस घर आना पड़ा।देश की सेवा हेतु अपने प्राणों की बलि देने वाले आशुतोष को जज्बे को सलाम करने लायक है। क्योंकि बचपन से ही उनके मन में देश सेवा का भाव जागृत था। वें हमेशा फौज की नौकरी करने हेतु प्रयासरत रहे। ऐसा उनके चाचा पेशे से अधिवक्ता लालजी यादव ने बताया। उन्होंने बताया की आशुतोष के पिता लालसाहब फौज में नौकरी करते थे। जहां नौकरी के दौरान सन् 2000 में लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। आशुतोष की शिक्षा कक्षा 7 तक इलाहबाद के केंद्रीय विद्यालय में हुई। इसके बाद इंटर तक की शिक्षा वार मेमोरियल कालेज नासिक में हुई, तभी से इसके मन में देश सेवा का भाव जगा और फौज की नौकरी का मन बना लिया।उन्हे 2012 में फौज में नौकरी मिल भी गई थी।
दोनो अफसरो की अगुवाई में शव यात्रा बदलापुर से चलकर नगर के रामघाट पहुंची। यहां पर पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ आशुतोष का अंतिम संस्कार हुआ।
बीते 14 फरवरी को जम्मू-काश्मीर में एक आतंकवादी हमले में देश के तीन जवान शहीद  हो गये थे। इन शहीदो में जौनपुर जिले के बदलापुर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव के निवासी आशुतोष यादव शहीद हो गये थे। उनका शव कल देर रात हवाई जहाज द्वारा बाबतपुर हवाई अड्डे पर लाया गया। वहां से सेना के वाहन से उनके घर शव लाया गया। शहीद का शव घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। मां भाई नई नवेली उनकी पत्नी दहाड़ मारकर रो रही थी। महिलाओ की चित्कार से पूरा इलाक गमगीम हो गया। शहीद को अंतिम सलामी देने के लिए इलाके की हजारो जनता उमड़ पड़ी थी। डीएम एसपी मौके पर नही पहुंचे तो भीड़ अपना दर्द भुलाकर आक्रोशित हो गयी। सभी ने अंतिम संस्कार न करने का फैसला लेकर वाराणसी-लखनऊ हाईवे को जाम कर जिला प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करने लगे। इसकी सूचना मिलते ही एडीएम उमाकांत त्रिपाठी एसपी अतुल सक्सेना मौके पर पहुंचकर किसी तरह से जाम को समाप्त कराया।

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