मुंगराबादशाहपुर सीट पर चल रहा है कड़ा मुकाबला
https://www.shirazehind.com/2017/02/blog-post_155.html
जौनपुर। भाजपा के मुफलीसी के दौर में मुंगराबादशाहपुर सीट जीतकर बीजेपी की झोली में डालने वाली सीमा द्विवेदी की हालत फिलहाल मौजूदा समय में पतली नजर आ रही है। उनकी मुश्किले जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी अजय शंकर दुबे ने बढ़ा दिया है वही बसपा की तेजतरार प्रत्याशी सुषमा पटेल भी सिरदर्द बढ़ा दिया है। विधायक सीमा द्विवेदी के प्रचार प्रसार करने का तरीका भी बसपा प्रत्याशी ने अपना रखी है।
1996 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर गढ़वारा सीट से चुनाव जीतकर पहलीबार विधानसभा पहुंचने वाली सीमा द्विवेदी अपनी कार्यशैली के कारण क्षेत्र में काफी लोक प्रिय है। लेकिन 2002 के चुनाव में उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा था। उन्हे सपा के लालबहादुर यादव ने करीब 16 हजार के मतो के अतंर से हराया था। 2007 के चुनाव में सीमा ने सपा प्रत्याशी को राजनारायण विन्द को 13 हजार से अधिक मतो से हराकर फिर से गढ़वारा सीट को बीजेपी की झोली में डाल दी थी। 2012 चुनाव के परसीमन में गढ़वारा विधानसभा का अस्तित्व समाप्त करके मुंगराबादशाहपुर सीट कर दिया गया। सीमा ने इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी रमेश मिश्रा को मात्र 6 हजार वोटो के अंतर से जीतकर विधायक चुनी गयी थी।
2017 चुनाव में सीमा फिर मैदान में है। उनके चुनाव प्रचार करने का तरीका बिलकुल घरेलू महिला के अंदाजा में है। वे चुनाव प्रचार के समय सीधे घर मंे घुसकर काम कर रही महिलाओ के कार्यो में हाथ बटाने लगती है उसके बाद वोट मांगती है। इसके अलावा वे अपने कार्यकर्ताओ के लिए हर समय खड़ी नजर आती है। इस बार उन्हे टक्कर देने के लिए और ब्राहमण मतदाताओ की सेधमारी करने के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन अजय शंकर दुबे को मैदान में उतारा है। उधर इस सीट पर पटेल जाति के वोट बैंक को देखते हुए बसपा ने सुषमा पटेल को टिकट दिया है। ऐसे में जहां अजय ब्राहमण मतो में सेधमारी कर रहे है वही सुषमा पटेल कुर्मी मतदाताओ को अपने पक्ष में करके का प्रयास करके भाजपा - अपनादल गठबंधन की गांठ को ढ़ीली करने में जुटी है।
फिलहाल फैसला जनता के हाथ में है। आठ मार्च को किसके पक्ष में बटन दबाती है इसका फैसला 11 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चल पायेगा।
1996 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर गढ़वारा सीट से चुनाव जीतकर पहलीबार विधानसभा पहुंचने वाली सीमा द्विवेदी अपनी कार्यशैली के कारण क्षेत्र में काफी लोक प्रिय है। लेकिन 2002 के चुनाव में उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा था। उन्हे सपा के लालबहादुर यादव ने करीब 16 हजार के मतो के अतंर से हराया था। 2007 के चुनाव में सीमा ने सपा प्रत्याशी को राजनारायण विन्द को 13 हजार से अधिक मतो से हराकर फिर से गढ़वारा सीट को बीजेपी की झोली में डाल दी थी। 2012 चुनाव के परसीमन में गढ़वारा विधानसभा का अस्तित्व समाप्त करके मुंगराबादशाहपुर सीट कर दिया गया। सीमा ने इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी रमेश मिश्रा को मात्र 6 हजार वोटो के अंतर से जीतकर विधायक चुनी गयी थी।
2017 चुनाव में सीमा फिर मैदान में है। उनके चुनाव प्रचार करने का तरीका बिलकुल घरेलू महिला के अंदाजा में है। वे चुनाव प्रचार के समय सीधे घर मंे घुसकर काम कर रही महिलाओ के कार्यो में हाथ बटाने लगती है उसके बाद वोट मांगती है। इसके अलावा वे अपने कार्यकर्ताओ के लिए हर समय खड़ी नजर आती है। इस बार उन्हे टक्कर देने के लिए और ब्राहमण मतदाताओ की सेधमारी करने के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन अजय शंकर दुबे को मैदान में उतारा है। उधर इस सीट पर पटेल जाति के वोट बैंक को देखते हुए बसपा ने सुषमा पटेल को टिकट दिया है। ऐसे में जहां अजय ब्राहमण मतो में सेधमारी कर रहे है वही सुषमा पटेल कुर्मी मतदाताओ को अपने पक्ष में करके का प्रयास करके भाजपा - अपनादल गठबंधन की गांठ को ढ़ीली करने में जुटी है।
फिलहाल फैसला जनता के हाथ में है। आठ मार्च को किसके पक्ष में बटन दबाती है इसका फैसला 11 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चल पायेगा।