चुनाव में गाड़ी देने से कतरा रहे वाहन स्वामी
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जौनपुर। विधानसभा चुनाव में कार्मिकों की तरह वाहनों की डयूटी कटवाने वालों की भी संख्या कम नहीं है। वाहन स्वामी चुनाव में गाड़ी देने से कतरा रहे है। यही वजह है कि परिवहन कार्यालय में इन दिनों वाहन स्वामी अपने वाहन की डयूटि कटवाने के लिए आवेदन लेकर पहुच रहे है। इनमें कोई अपने परिवार के सदस्य के बीमार रहने की बात बता रहा है तो कोई वाहन बाहर होने की समस्या बता रहा है। यहाँ करीब आधा सैकड़ा के करीब लोगों ने वाहन की डयूटि कटवाने हेतु आवेदन किया है। हालाँकि विभाग ने इन वाहन स्वामियों के आवेदन रख तो लिए है, लेकिन इन्हे पूर्ण भरोसा नहीं दिया है कि उन्हे वाहन नहीं देना होगा। यदि इमरजेन्सी पड़ी तो उन्हे फोन कर बुलाया जाएगा, और उन्हे हर हाल में वाहन देना होगा।
विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ इन दिनों चरम पर है। मतदान कार्मिकों को प्रशिक्षण के साथ अन्य व्यवस्थाओं में पूरा प्रशासनिक अमला लगा हुआ है। चुनाव ड्यूटी के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेटों, जोनल मजिस्ट्रेटों, उड़नदस्तों व मतदान कराने के लिए पोलिंग पार्टियों को बूथों पर भेजने आदि के लिए सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी/वाहन प्रभारी द्वारा वाहन अधिग्रहीत किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा वाहन स्वामियों को नोटिस भेजकर अधिग्रहण की कार्यवाही कर रहा है। जिन वाहनों को तिलक व बरात के लिए बुक किया गया था, उसमें से अधिकतर वाहन मालिकों को एआरटीओ ने वाहन देने के लिए नोटिस जारी किया है। आदेश न मानने पर एफआइआर कराने के भी निर्देश हैं। ऐसे में वाहन मालिक और शादी वाले घरों के मालिक भी परेशान हैं। उन्हें चिंता है कि वह बरात लेकर दुल्हन के घर तक कैसे पहुंचेंगे। वहीं, बुक करने वाले वाहन स्वामियों को भी आर्थिक रूप से हानि उठानी पड़ेगी। ये तो है बड़े वाहनों की समस्या, अब छोटे वाहनों की बात करे तो यहाँ भी वही समस्या है। घर में माता-पिता बीमार है और इलाज के लिए वाहन की आवश्यकता रहती है। वाहन की डयूटी चुनाव में लगा देने से उनके समक्ष समस्या खड़ी हो गयी है। इसके अलावा कइयों का वाहन बाहर है और रजिस्ट्रेशन यहाँ कराए बैठे है। अब चुनाव में वाहन मंगाने के लिए ही उन्हे कई लीटर डीजल की आवश्यकता पड़ेगी और आने में भी काफी समय लगेगा। और तो और कुछेक के वाहन सरकारी अधिकारियों के यहाँ किराए पर लगे हुए है। ऐसे समस्याग्रस्त लोग परिवहन कार्यालय अपने वाहन की डयूटि कटवाने के लिए पहुच रहे है।
विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ इन दिनों चरम पर है। मतदान कार्मिकों को प्रशिक्षण के साथ अन्य व्यवस्थाओं में पूरा प्रशासनिक अमला लगा हुआ है। चुनाव ड्यूटी के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेटों, जोनल मजिस्ट्रेटों, उड़नदस्तों व मतदान कराने के लिए पोलिंग पार्टियों को बूथों पर भेजने आदि के लिए सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी/वाहन प्रभारी द्वारा वाहन अधिग्रहीत किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा वाहन स्वामियों को नोटिस भेजकर अधिग्रहण की कार्यवाही कर रहा है। जिन वाहनों को तिलक व बरात के लिए बुक किया गया था, उसमें से अधिकतर वाहन मालिकों को एआरटीओ ने वाहन देने के लिए नोटिस जारी किया है। आदेश न मानने पर एफआइआर कराने के भी निर्देश हैं। ऐसे में वाहन मालिक और शादी वाले घरों के मालिक भी परेशान हैं। उन्हें चिंता है कि वह बरात लेकर दुल्हन के घर तक कैसे पहुंचेंगे। वहीं, बुक करने वाले वाहन स्वामियों को भी आर्थिक रूप से हानि उठानी पड़ेगी। ये तो है बड़े वाहनों की समस्या, अब छोटे वाहनों की बात करे तो यहाँ भी वही समस्या है। घर में माता-पिता बीमार है और इलाज के लिए वाहन की आवश्यकता रहती है। वाहन की डयूटी चुनाव में लगा देने से उनके समक्ष समस्या खड़ी हो गयी है। इसके अलावा कइयों का वाहन बाहर है और रजिस्ट्रेशन यहाँ कराए बैठे है। अब चुनाव में वाहन मंगाने के लिए ही उन्हे कई लीटर डीजल की आवश्यकता पड़ेगी और आने में भी काफी समय लगेगा। और तो और कुछेक के वाहन सरकारी अधिकारियों के यहाँ किराए पर लगे हुए है। ऐसे समस्याग्रस्त लोग परिवहन कार्यालय अपने वाहन की डयूटि कटवाने के लिए पहुच रहे है।