प्रभु को मन में बसाये बिना आनन्द का बसेरा असम्भवः डा.दर्शन
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जौनपुर।
जब मन का नाता प्रभु से जुड़ा रहता है तो आनन्द भी बनी रहती है। ज्ञान की
रोशनी मन में समाई होती है। प्रभु को मन में बसाये बिना मन रूपी आंगन में
आनन्द का बसेरा सम्भव नहीं है। उक्त उद्गार मड़ियाहूं पड़ाव पर स्थित संत
निरंकारी सत्संग भवन व कबूलपुर बाजार में उपस्थित विषाल संत समूह को
सम्बोधित करते हुये बांदा से आये डा. दर्षन सिंह जोनल इंचार्ज ने व्यक्त
किया। इस अवसर पर श्याम लाल साहू संयोजक, सर्वेष पाण्डेय, वषिष्ठ नारायण
पाण्डेय, खुर्षीद अहमद, बाल किषन जायसवाल, विजय रत्न, सूर्य कुमार, रजनीष
सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। संचालन उदय नारायण जायसवाल ने किया।