फीस न जमा होने पर गरीब के बेटे को परीक्षा कक्ष से निकाला गया

मिर्जापुर। पैसे की व्यवस्था न होने पर विद्यालय ने हाईस्कूल की परीक्षा देने आये छात्र को लाबी में बंधक बनाकर परीक्षा लेने से इंकार कर दिया। वह भी तब जब छात्र आदेशानुसार दो माह की फीस लेकर आया था। काउंटर बंद होने के कारण फीस जमा नहीं हुआ। उसे महज फीस के लिए प्रताड़ित किये जाने का आरोप उसके पिता ने लगाया है। अपने बालक का भविष्य चैपट होता देख लाचार पिता ने सीएम योगी और पीएम मोदी को भी पत्र भेजकर अन्य किसी बच्चें का भविष्य चैपट होने से बचाने की गुहार लगाने के साथ ही मनमानी कर रहे विद्यालय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग की है। विद्यालय में बारह सौ बच्चें पढ़ रहे है।
नगर के नारघाट मोहल्ला निवासी जय प्रकाश का पुत्र शुभम वर्धमान पब्लिक स्कूल में कक्षा दसवीं का छात्र है। दो माह की उसकी फीस नहीं जमा थी। इस पर उसे परीक्षा कक्ष में जाने से रोका गया। 23 मार्च को वह फीस लेकर पहुंचा था। काउंटर बंद होने के कारण उसे लाबी में ही रोक लिया गया। परीक्षा आरम्भ होने के बाद भी उसे कमरे में नहीं जाने दिया गया। शुभम ने बताया कि वह प्रातः मैथ का परीक्षा देने आया था। उसे मेम से मिलने की बात करके लाबी में ही रोक लिया गया। काफी मन्नत करने के बावजूद उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया।
छात्र की माँ विजयलक्ष्मी ने कहा कि परीक्षा देने से रोके जाने के बाद से मेरा बेटा गुमसुम है। उसके कहने पर भी विद्यालय से किसी ने घर पर लैंड लाइन खराब होने की बात कह कर जानकारी नहीं दी। फीस के खातिर परीक्षा से छात्र को वंचित किये जाने को विद्यालय की तानाशाही बताया कहा कि यह विद्यालय की सरासर बदतमीजी है। मेरा बेटा तीन पेपर दे चुका है।
चश्मे की दुकान लगाकर परिवार का पालन पोषण करने वाले पीड़ित छात्र के पिता जय प्रकाश ने विद्यालय के आचरण को शिक्षा के अधिकार पर कुठाराधात बताया। कहा कि मेरे बेटे को परीक्षा से पैसे के कारण वंचित करके अन्याय किया गया है। उसके भविष्य के साथ जो खिलवाड़ किया गया वह किसी और के बेटे-बेटी के साथ न हो इसके लिए शिक्षा विभाग के साथ ही सीएम योगी और पीएम मोदी को भी पत्र भेजा है। वह माननीय उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर धन वसूली करने में लगे विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की मांग करेगा।
विद्यालय की प्रधानाचार्या राजो जैन ने बताया कि विद्यालय में वह उस दिन विलम्ब से आयी थी। उसने छात्र से पहले ही फीस जमा करने को कहा था। छात्र ने बाद में फीस जमा करने को कहा था इस आधार पर बैठने की अनुमति दी गयी थी। मैंने कहा है कि प्रार्थना पत्र दे दो उसे बोर्ड के सामने रखा जायेगा। वहीं विद्यालय की जबरन वसूली से अभिभावक चिंतित है।

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