रंगीन हुए बाजार, घरों में पकवान हो रहे तैयार

 जौनपुर। होली पर बाजार रंग बिरंगे नजर आ रहे हैं। घरों में पकवान बनने शुरू हो चुके हैं। चैराहों और होलिका दहन वाले स्थलों पर सजावट होने लगी है। बाजार में भी उत्सव का माहौल है। दुकानों में खरीदारों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही  है। होलिका दहन पर इस बार हरी लकड़ियां डालने को लेकर लोगों में भी जागरूकता नजर आ रही है। लोग हरी लकड़ी के स्थान पर सूखी लकड़ी और गोबर के उपले डाले जा रहे हैं। प्रशासन ने भी हरे पेड़ों की कटान को लेकर इस बार सतर्कता बरती जा रही है। शहर में दो दर्जन स्थानों पर होलिका सजाई गयी है। बाजार में पैकेट बंद मिठाई, नमकीन खूब बिक रही है। होली पर बाजारों में इस समय खासी भीड़ नजर आ रही है। खोवा वाली गुझिया दो सौ से लेकर साढ़े तीन सौ रुपये किलो तक में बिक रही हैं। नमकीन में भुजियां अधिक पसंद की जा रही है। नमकीन में डेढ़ सौ रुपये किलो से लेकर 500 रुपये किलो तक की नमकीन बिक्री हो रही है। गिफ्ट पैक भी खूब खरीदे जा रहे हैं। रंग और अबीर गुलाल खुला और पैकेट बंद भी मिल रहा है। पैकेट में पांच रुपये से लेकर पचास रुपये तक में है। गुलाल ब्रांडेड और सस्ते भी बाजार में सजे हैं। केमिकल रंगों को लेकर लोग सजगता दिखा रहे हैं।बाजार में तरह-तरह की रंग बिरंगी पिचकारियां सजीं हैं। प्लास्टिक की पिचकारी, बोतल वाली, इलेक्ट्रानिक्स पिचकारी बिक रही हैं। बाजार में दस रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक की पिचकारी मिल रही हैं। होली को लेकर नगर में कई जगह विभिन्न प्रकार के सेल भी लगे हैं। इसमें कपड़ों से लेकर अन्य घरेलू चीजों के भी सेल लगे हुए हैं। ऐसे में इस तरह के सेल में लोगों की और भी भीड़ हो रही है। कपड़ों के सेल में लोग और पहुंच रहे हैं। सेल में विभिन्न प्रकार के आफर होने से लोग इनके प्रति और भी आकर्षित हो रहे हैं। इस तरह की स्थिति में बाजार पूरी तरह होली के रंग में दिख रहा है। रंगों के त्यौहार होली की तैयारी में क्षेत्रवासी पूरे उल्लास के साथ जुट गए हैं।   पहले प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाती थी जिससे चेहरे लाल, पीले, नीले, हरे होने लगते थे। आज इसको छोड़ ¨सथेटिक रंगों का पैक या खुले रंग गली-मोहल्ले तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में फूलों से बने प्राकृतिक रंग अब इतिहास बन कर रह गए हैं। बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि पहले रंग टेसू के फूल, हल्दी सहित विभिन्न पौधों के फूल और पत्तियों से निर्मित होते थे। अब प्राकृतिक रंगों का तो अस्तित्व ही लगभग समाप्त हो चुका है। अब इनकी जगह रासायनिक रंगों ने ले लिया है। सिथेटिक व रासायनिक रंगों का प्रसार हर बाजारों में फैल चुका है जबकि ये कृत्रिम रंग कई तरह से हानिकारक हैं। जानकार बताते हैं कि रासायनिक लाल रंग में एजोबेंजिन, सुर्ख लाल रंग में पैरा हाइड्रोएजो बेंजिन, पीला में नाइट्रोबेजिन, गहरा पीला में भी नाइट्रोबेजिन, हरा में ट्राइएथाइल, नैफ्थेन, नीले रंग में इंडिगो ब्लू होता है। इसके उपयोग से आंखों में जलन, सूजन, त्वचा में संक्रमण के खतरे की संभावना बना रहती है। बावजूद इसके इन रंगों का प्रचलन धड़ल्ले से हो रहा है।

Related

news 5348594441031084042

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item