रामनवमी पर माॅ विन्ध्यवासिनी धाम में उमडा आस्था का सैलाब
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मिर्जापुर। वासंतिक नवरात्र के रामनवमी के दिन आस्था के धाम पहुंच लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने माॅ विन्ध्यवासिनी, काली व अष्टभुजा माता के सामने पहंुच अपनी आस्था के शीष नवाये। नवरात्र के प्रथम दिन से लेकर अंत तक समूचा विन्ध्य धाम भक्तों से पटा रहा। अष्टमी व नवमी का एक साथ फल प्राप्त करने के लिए अधिकांश भक्तों ने मंगलवार को ही धाम में अपना डेरा डाल दिया था। मध्य रात्रि से पहले गंगा घाटों पर पहंुच स्नान करने के बाद भक्तों का कारवां मंदिर की ओर जाने वाले मार्गों की ओर निकल पड़ा। मंदिर की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गाें में विन्ध्याचल कोतवाली मार्ग, न्यू वीआईपी व जयपुरिया गली खचाखच दर्शनार्थियों से पटी रही। चहंुओर गगनभेदी माता के उद्घोष से समूचे विन्ध्य धाम की गलियां गंुजायमान हो उठी थी। अपनी बारी की प्रतिक्षा के लिए मंदिर का कपाट बंद होने के कारण भक्त कतारबद्ध बैठे रहे। मध्य रात्रि के बाद जैसे ही मंदिर का कपाट खुला कि भक्तगण अपनी स्थान से उठ माता के जय जयकारे लगाते गर्भगृह की ओर बढ़े चले। सुबह से लेकर शाम तक त्रिकोण मार्ग भक्तों से पटा रहा। दिन चढ़ने पर तपती धूप के कारण उनकी संख्या बल में कुछ जरूर कमी नजर आई पर जैसे ही दिन ढला एक बार फिर से लोग भक्त मार्ग की ओर निकल पड़े। माॅ विन्ध्यवासिनी धाम से कोई नंगे पावं पैदल तो कोई साधनों के जरिये कालीखोह की ओर कूच कर रहा था। माता काली के दर्शन व पूजन करने के बाद भक्तों का कारवां मंदिर के ठीक पीछे स्थित अष्टभुजा की ओर जाने वाले सीढ़ियों के सहारे चढ़ भक्तगण कूच करते दिखलाई पड़े। लगभग तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा के बीच भक्तों का कारवां पहाड़ी वादी की मनोरम घटा को निहारने के साथ ही कोई गेरूआ तालाब तो कोई सीता कुण्ड की ओर पहुुंच रहा था। त्रिकोण के दौरान भ्रमण करते हुये भक्तों को माता अष्टभुजा देवी की दर्शन के लिए मंदिर तक पहंुचने के बाद उनके सामने से ही सैकड़ों सीढ़ियां नीचे उतर कर पुनः चढना पड़ता था। कारण कि साधनों के जरिये यहां पहंुचे भक्त पहले से कतारबद्ध रहे। एकल मार्ग होने के कारण यहां भी लम्बी कतार देखी गयी। घण्टो मशक्कतों के बाद अपनी बारी आने पर गुफा में विराजमान अष्टभुजा देवी की एक झलक पाकर भक्तों के अंदर एक अनुभूति का संचार हुआ उनके चेहरे चमक उठे। माता के दर्शन व पूजन करने के बाद भक्त पुनः माॅ विन्ध्यवासिनी दरबार की ओर पहंुच अपना त्रिकोण यात्रा सफल की।