खरीददारों से बढ़ने लगी बाजार की रौनक
https://www.shirazehind.com/2017/06/blog-post_941.html
जौनपुर। ईद का त्योहार नजदीक आने के साथ ही बाजार में खरीदारों की भीड़ से रौनक बढ़ती जा रही है। माह-ए-रमजान के 22 रोजे बीतने के साथ ही बड़े, बच्चे, महिलाएं बाजार में खरीदारी के लिए सुबह से ही घर से निकल जा रहे हैं। बाजार में तरह-तरह के खाने-पीने की चीजों की दुकानों पर लोग खरीदारी कर रहे हैं। इस पाक माह में रोजेदारों को बदी छोड़ कर नेकी के रास्ते पर चलने पर अल्लाह पाक खुद इनाम देते हैं। इस महीने में एक नेकी के बदले खुदा 70 नेकियों का सवाब देता है। बाजार में किस्म-किस्म के रेडीमेड कपड़ों का कलेक्शन देखकर दुकानों पर युवाओं की भीड़ जुट रही है। दुकानों पर भी कई प्रकार की सेवइयों के स्टाल लग गए हैं। मौलाना इबरार अहमद ने बताया कि माहे रमजान में अकीदत के साथ रोजा रखना अल्लाह पाक की सच्ची इबादत है। इसी महीने में इंसान की भलाई के लिए कुरान शरीफ नाजिल हुआ। यह बुराई व अच्छाई में अंतर करने में मददगार है। सब्र और गरीबों की मदद के इस महीने में की गई नेकी रोजेदारों के पूरे वर्ष काम आती है। उसे मरने के बाद जन्नत नसीब होती है। रमजान के महीने तीन अशरा में बांटा गया है। अरबी भाषा में अशरा को दस कहते हैं। पहला अशरा यानी 10 दिन रहमत का है। दूसरा अशरा गुनाहों की माफी का, जबकि तीसरा अशरा जहन्नुम से रिहाई का है। रमजान के महीने में बाद ऐसी एक खास नमाज अदा की जाती है जिसे तरावीह कहते हैं। इस नमाज की काफी फजीलत है। अल्लाह पाक ने इस नमाज के जरिए बंदे को साल में कम से कम एक बार पूरी कुरान को अपने कानों से सुनने का मौका फराहम किया है। रोजे की हालत में तकबा करना बहुत जरूरी है यानि रोजेदार बुरे कामों व बुरी बातों से परहेज ना करें साथ ही नेक काम ना करें तो रोजेदार के भूखे और प्यास रहने से अल्लाह पाक को कोई मतलब नहीं। अल्लाह पाक का साफ फरमान है कि मेरा मकसद तुम्हें सिर्फ भूखा प्यासा रखना नहीं बल्कि रोजे की हालत में बुरे कामों से महरूम रखना है। साथ ही नेक कामों की ओर मुड़ना है। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वह रमजान के रोजे से महरूम ना रहें साथ ही नेकी के काम करने के साथ ही तरावीह की नमाज जरुर पढ़ें।