विन्ध्य धाम में मुस्लिम समुदाय के लोग बनाते हैं देवी भक्तों के लिए चुनरी
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सैकड़ों लोगों की इस धंधे से जुड़ी है रोजी रोटी, बाजार में हाईटेक चुनरी आने से धंधा भी हुआ मंदा
मिर्जापुर। माता रानी को चुनरी बहुत पसंद है तभी तो देश के कोने- कोने से दर्शन-पूजन करने आने वाले देवी भक्त प्रसाद में नारियल व चुनरी चढ़ाना नहीं भूलते। इसके अलावा माई तोर चुनरी लाल लाल रे..... का जयकारा भी लगाते हैं। इसके बाद चुनरी चढ़ाकर श्रद्धालु उसे प्रसाद के रूप में घर भी ले जाते हैं और वर्ष भर उसका पूजा पाठ के समय प्रयोग करते हैं। इस सबके बीच नवरात्र आते ही चुनरी बनाने का काम भी तेज हो गया है। धाम में रंग बिरंगी चुनरी मुस्लिम समाज के लोग बनाते हैं। सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी इस धंधे से जुड़ी हुई है। मजे की बात तो यह है कि इस काम के दौरान किसी के मन में न तो राग द्वेष होता है और न ही एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास होता है। विन्ध्य धाम में तो हिन्ंदूू -मुस्लिम अपने-अपने रोजी रोजगार व आस्था का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। धाम कस्बा व कंतित में पचास से अधिक घरों में चुनरी की रंगाई होती है। हालांकि धाम में बाहर से भी एक से बढ़कर एक हाईटेक चुनरी आती है। वर्ष के चैत्र व शारदीय नवरात्र मेला में लाखों का कारोबार चुनरी के व्यवसाय से होता है। कंतित निवासी अब्दुल व इकराम का कहना है कि काहे का भेदभाव और काहे की प्रतिस्पर्धा। एक दूसरे के त्योहार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना और मदद करना ही तो मानवता है। उनका कहना है कि आपसी सौहार्द का विन्ध्याचल का मिशाल बहुत पुराना है। यहां तो कभी सौहार्द बिगड़ा ही नहीं। लोग आपस में प्रेम भाव से रहकर दो जून की रोटी की जुगाड़ में रहते हैं। इसके लिए एक दूसरे पर निर्भर रहना स्वाभाविक है। हालांकि हाईटेक चुनरी के बाजार में आने के चलते इसका धंधा थोड़ा मंदा जरूर पड़ गया है। कहा कि सरकारी स्तर पर इसके संरक्षण की दरकार है। कई बार उद्योग विभाग से संपर्क भी किया गया लेकिन प्रशासन से मदद नहीं मिली जिसके चलते समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं।
मिर्जापुर। माता रानी को चुनरी बहुत पसंद है तभी तो देश के कोने- कोने से दर्शन-पूजन करने आने वाले देवी भक्त प्रसाद में नारियल व चुनरी चढ़ाना नहीं भूलते। इसके अलावा माई तोर चुनरी लाल लाल रे..... का जयकारा भी लगाते हैं। इसके बाद चुनरी चढ़ाकर श्रद्धालु उसे प्रसाद के रूप में घर भी ले जाते हैं और वर्ष भर उसका पूजा पाठ के समय प्रयोग करते हैं। इस सबके बीच नवरात्र आते ही चुनरी बनाने का काम भी तेज हो गया है। धाम में रंग बिरंगी चुनरी मुस्लिम समाज के लोग बनाते हैं। सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी इस धंधे से जुड़ी हुई है। मजे की बात तो यह है कि इस काम के दौरान किसी के मन में न तो राग द्वेष होता है और न ही एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास होता है। विन्ध्य धाम में तो हिन्ंदूू -मुस्लिम अपने-अपने रोजी रोजगार व आस्था का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। धाम कस्बा व कंतित में पचास से अधिक घरों में चुनरी की रंगाई होती है। हालांकि धाम में बाहर से भी एक से बढ़कर एक हाईटेक चुनरी आती है। वर्ष के चैत्र व शारदीय नवरात्र मेला में लाखों का कारोबार चुनरी के व्यवसाय से होता है। कंतित निवासी अब्दुल व इकराम का कहना है कि काहे का भेदभाव और काहे की प्रतिस्पर्धा। एक दूसरे के त्योहार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना और मदद करना ही तो मानवता है। उनका कहना है कि आपसी सौहार्द का विन्ध्याचल का मिशाल बहुत पुराना है। यहां तो कभी सौहार्द बिगड़ा ही नहीं। लोग आपस में प्रेम भाव से रहकर दो जून की रोटी की जुगाड़ में रहते हैं। इसके लिए एक दूसरे पर निर्भर रहना स्वाभाविक है। हालांकि हाईटेक चुनरी के बाजार में आने के चलते इसका धंधा थोड़ा मंदा जरूर पड़ गया है। कहा कि सरकारी स्तर पर इसके संरक्षण की दरकार है। कई बार उद्योग विभाग से संपर्क भी किया गया लेकिन प्रशासन से मदद नहीं मिली जिसके चलते समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं।