पत्थरों को जोड़कर भक्त माॅग रहे मन्नत
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मिर्जापुर। माॅ विन्ध्यवासिनी की नगरी मंे तीनों देवियों के दर्शन के लिए निकलने वाला दर्शनार्थियों के झुंड में चल रहे लोगो के पांव अष्टभुजा पहाड़ी के त्रिकोण मार्ग पर पहुॅच कर सहसा कुछ पलों के लिए रूक जा रहे है। भीड़ में मौजूद लोग यही कहते है कि थोड़ा रूक जाइये हम भी अपने भविष्य के लिए एक घरौदा बना लें।
फिर क्या वह पहाड़ पर दूर-दराज छिटके पत्थरों को इकट्ठा करके घरौदा का आकार बनाने लग रहे है। पत्थरों को जोड़कर भक्त तीनों देवियों से मन्नत माॅगता है कि हे माॅ उनकी भी एक आशियाना बनवा दो। मान्यता है कि यहां पत्थर जोड़कर सच्चे मन से घरौदा का आकार बनाने वाले के खुद का घर होने का सपना पूरा होता है। परिणाम जिला पंचायत के डाक बंगला के आगे बढ़ते ही पहाड़ पर पत्थरों का घरौदा बनाने वालों की भीड़ हमेशा दिख जायेगी।
दशकों से चलो आ रही इस परंपरा का लोग आज भी अनुपालन कर रहे है। वैज्ञानिक युग में इसे भले ही अंध विश्वास माना जाय लेकिन हजारों लोगो के आस्था के आगे अंध विश्वास को भी विश्वास मानना होगा।
फिर क्या वह पहाड़ पर दूर-दराज छिटके पत्थरों को इकट्ठा करके घरौदा का आकार बनाने लग रहे है। पत्थरों को जोड़कर भक्त तीनों देवियों से मन्नत माॅगता है कि हे माॅ उनकी भी एक आशियाना बनवा दो। मान्यता है कि यहां पत्थर जोड़कर सच्चे मन से घरौदा का आकार बनाने वाले के खुद का घर होने का सपना पूरा होता है। परिणाम जिला पंचायत के डाक बंगला के आगे बढ़ते ही पहाड़ पर पत्थरों का घरौदा बनाने वालों की भीड़ हमेशा दिख जायेगी।
दशकों से चलो आ रही इस परंपरा का लोग आज भी अनुपालन कर रहे है। वैज्ञानिक युग में इसे भले ही अंध विश्वास माना जाय लेकिन हजारों लोगो के आस्था के आगे अंध विश्वास को भी विश्वास मानना होगा।