ब्रम्हज्ञान प्राप्ति से दूर होता है भ्रम: कान्ता

जौनपुर । इस धरा पर कोई भी ऐसा इन्सान नही हैं जो सुख नही चाहता या सुख का पात्र. नही होना चाहेगा चाहे वह गरीब, अमीर, लाचार, दुखीः, विद्वान या अनपढ़ हो सभी सुख प्राप्त करना चाहते है। किन्तु संसार भौतिक वस्तुओं में सुख ढुढ़ता है जो कि क्षणिक है वास्तविक सुख तो सद्गुरू के चरणों में ईश्वर की शरण में है। उक्त बातें मडियाँहू पडाव स्थित निरंकारी भवन  व नौपेडवा सत्संग भवन के प्रागण में आगरा से आयी माता कान्ता ने श्रद्वालुओ को संम्बोधित करते हुऐ व्यक्त किया। उन्होनेंकहा कि संसार में तत्ववेता या ब्रम्हवेता महात्मा की तलाश कठिन है। पर परमात्मा मिलना आसान है। किसी ब्रम्हज्ञानी महात्मा का संग मिल जाये तो ब्रम्ह की प्राप्ति और भ्रम की समाप्ति हो जाती है। इतिहास, वेद शास्त्र, कुरान खोलकर देखे उसमें साधु के संग से ही परमात्मा की प्राप्ति हुई है। जिन्हे प्राप्ति हुई है। वे ही महान हुए है। ब्रम्हज्ञान प्राप्त करने के पश्चात ही एक इन्सान का सारा भ्रम समाप्त हो जाता है। उसकी दृष्टि में हर मानव में एक ही परमपिता चेतन अवस्था में दिखाई पड़ता हैं ब्रम्हज्ञानी संत की हृदय से मन्दिर मस्जिद का झंझट समाप्त हो जाता है। वह कण - कण मे प्रभु का दर्शन करता है। आज एक मानव को सांप-विच्छु व शेर से उतना भय नही हैं जितना भय एक इंसान को दूसरे इंसान से है। ब्रम्हज्ञान प्राप्त करने के बाद एक दूसरे के प्रति घृणा की भावाना समाप्त हो जाती है। उस व्यक्ति का एक ही धर्म बन जाता है। जिसे मानव धर्म कहते है। मुख्य वक्ता श्याम लाल साहू रंजना ,सूर्य कुमार यादव , केशरी ,शिव प्रसाद , रीता , पूनम  रमेश तिवारी , राम चन्द्र आदि उपस्थित रहे। संचालन राधेश्याम द्विवेदी ने किया।

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