आशूरा को इमाम हुसैन को सभी धर्म वालों ने श्रधांजलि अर्पित की |
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जौनपुर में इमाम हुसैन की तुर्बत पे हिन्दू भाइयों ने भी ताजिये चढ़ा के श्रधांजलि अर्पित की |
जब हजरत मुहम्मद के नवासे हुसैन का नाम आता है तो तो वो किसी एक धर्म का मुहताज नहीं रह जाता | पूरी दुनिया के लोफ १० मुहरम को इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं क्यूँ यह ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ थी और आज जो इंसानियत का पर्चाम आलम की शक्ल में दुनिया के हर कोने में हर धर्म के लोगों के बीच लहरा रहा है यह बता रहा है हुसैन कामयाब हुए| जौनपुर वर्षों से सप्रदायिक सौहाद्र की पहचान रहा है |
आशूरा जो १० उहर्रम को मनाया जाता है उसकी शाम को जाकिर ऐ अहलेबैत एस एम् मासूम ने शोक सभा को खिताब किया और लोगों को जालिमों से दूर रहने और इनसानियत का पर्चाम इमाम हुसैन की तरफ लहराते हुए समाज में रहने की बातें बतायी और बताया की यही मकसद हुसैन की शहादत का भी था | शोक सभी के बाद आलम ताजिये का जुलूस निकला जिसमे हिन्दू और मुस्लिम सभी धर्म के लोगों ने ताजिये चढ़ा के इमाम हुसैन को श्रधांजलि अर्पित की और उनकी शहादत को याद किया |
इस ऐतिहासिक जुलूस का इंतज़ाम जनाब जीशान रिज़वी साहब करते हैं और यह जुलूस गूलर घाट के इमामबाड़ा बड़े इमाम से निकल के ओलन्दगंज चौराहा, इंदिरा मार्किट और कच्ची सराय होता हुआ इमाम बाड़ा बड़े इमाम के ख़त्म हो जाता है |

आशूरा जो १० उहर्रम को मनाया जाता है उसकी शाम को जाकिर ऐ अहलेबैत एस एम् मासूम ने शोक सभा को खिताब किया और लोगों को जालिमों से दूर रहने और इनसानियत का पर्चाम इमाम हुसैन की तरफ लहराते हुए समाज में रहने की बातें बतायी और बताया की यही मकसद हुसैन की शहादत का भी था | शोक सभी के बाद आलम ताजिये का जुलूस निकला जिसमे हिन्दू और मुस्लिम सभी धर्म के लोगों ने ताजिये चढ़ा के इमाम हुसैन को श्रधांजलि अर्पित की और उनकी शहादत को याद किया |
इस ऐतिहासिक जुलूस का इंतज़ाम जनाब जीशान रिज़वी साहब करते हैं और यह जुलूस गूलर घाट के इमामबाड़ा बड़े इमाम से निकल के ओलन्दगंज चौराहा, इंदिरा मार्किट और कच्ची सराय होता हुआ इमाम बाड़ा बड़े इमाम के ख़त्म हो जाता है |