माॅ की चारों आरती में बदल जाता है माॅ का स्वरूप

हर आरती का है अलग-अलग महत्व
मिर्जापुर। जगत जननी माॅ विन्ध्यवासिनी की चारों आरती चार पुरूषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त करने वाली है। जो भक्त जिस आरती में उपस्थित होता है उसे उसी प्रकार फल की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मामुहुर्त मंे भोर मंे चार बजे मंगला आरती होती है। मान्यता है कि इस आरती में माॅ का स्वरूप बाल्यावस्था का होता है। इस आरती में शामिल होने पर भक्तों को धर्म की प्राप्ति के साथ उसका भविष्य मंगलमय हो जाता है। दोहपर 12 बजे माॅ की मध्यान्ह आरती होती है। जिसे राजश्री आरती कहा जाता है। इसमंे माॅ का स्वरूप युवावस्था का होता है। इस आरती से भक्त को समृद्धि व वैभव मिलता है। जिससे भक्त धन धान्य से पूर्ण होता है। रात सवा सात बजे माॅ की छोटी आरती की जाती है। इस आरती में माॅ का स्वरूप प्रौढ़ावस्था का होता है। इस आरती में शामिल होने से भक्त को संतान की मनोकामना पूरी होती है। रात को साढ़े नौ बजे माॅ की बड़ी आरती होती है। इसमें माॅ का स्वरूप वृद्धावस्था का होता है। इस स्वरूप में माॅ का दर्शन करने और आरती में शामिल होने से भक्तों को मोक्ष मिलता है। जो जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर माॅ के चरणों में स्थान पाता है। प्रत्येक आरती का अपना अलग-अलग महत्व है। सभी आरती में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। जिसे जो पाने की इच्छा रहती है वह उसी आरती में माॅ का स्मरण करता है। तीर्थ पुरोहित व पण्डा समाज के अध्यक्ष पं0 राजन पाठक कहते है कि ऐसा स्थल तो पूरे बं्रहांाड में कही नहीं है। यहां आने मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है। माॅ के सभी स्वरूप का दर्शन करने से सब कुछ मिल जाता है। यहां आने से भक्त निहाल हो जाते है।

Related

news 3013131867105540535

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item