मुहर्रम की शोक सभाओं में बहुप्रतिभाशाली एस एम् मासूम दे रहे शांति सन्देश |
https://www.shirazehind.com/2017/10/blog-post_7.html
मुहर्रम की शोक सभाओं में बहुप्रतिभाशाली एस एम् मासूम दे रहे शांति सन्देश |
जब मुहर्रम आता है हुसैन को चाहने वाले अपने अपने घरों में इमामबाड़ों में हजरत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत को याद करके अलम ताजिया सजा देते हैं और शोक सभायें (मजलिस) नौहा मातम करते पूरी दुनिया में दिखने लगते हैं | यह अपने अपमे एक चमत्कार है की कर्बला का वाकेया जहां पैगम्बर ऐ इस्लाम हजरत मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को ज़ालिम यजीद की फ़ौज ने शहीद किया इसे आज १३८० हो चुके है फिर भी इमाम हुसैन के चाहने वाले इसे ऐसे मनाते है जैसे यह अभी कल की ही बात हो |जौनपुर अज़ादारी के लिए बहुत मशहूर है मुहर्रम के दिनों में पूरा शहर ऐसा लगता है किसी शोक में डूबा अमन और शांति का पैगाम दे रहा है | हर जगह बड़े बड़े बैनर पे लगे शांति सन्देश आप को दिखने लगते हैं |
बहुप्रतिभाशाली एस.एम्. मासूम जो समाज सेवक, मशहूर ब्लॉगर ,लेखक, इतिहासकार और सोशल मीडिया के जानकार और परमर्श्कर्ता है वे इस बार जौनपुर के अलग अलग इमामबाड़ों से लोगो को शांति सदेश इन शोक सभाओं में देते नज़र आते हैं |
शिराज़ ऐ हिन्द से बात चीत में एस एम् मासूम ने बताया ये इमामबाड़े जहां से शोक सभाएं होती है उसमे किसी भी धर्म वालों के आने पे कोई पाबंदी नहीं बल्कि जो आता है हम उसे मेहमान समझते हैं उसकी इज्ज़त करते हैं|
जौनपुर जिसे शिराज़ ऐ हिन्द कहा जाता है सूफियों,संतो और ऋषि मुनियों का शहर रहा है इसलिए आपसी भाईचारा और शांति सदेश समाज में देते रहना इसकी की पहचान है |
जब मुहर्रम आता है हुसैन को चाहने वाले अपने अपने घरों में इमामबाड़ों में हजरत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत को याद करके अलम ताजिया सजा देते हैं और शोक सभायें (मजलिस) नौहा मातम करते पूरी दुनिया में दिखने लगते हैं | यह अपने अपमे एक चमत्कार है की कर्बला का वाकेया जहां पैगम्बर ऐ इस्लाम हजरत मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को ज़ालिम यजीद की फ़ौज ने शहीद किया इसे आज १३८० हो चुके है फिर भी इमाम हुसैन के चाहने वाले इसे ऐसे मनाते है जैसे यह अभी कल की ही बात हो |जौनपुर अज़ादारी के लिए बहुत मशहूर है मुहर्रम के दिनों में पूरा शहर ऐसा लगता है किसी शोक में डूबा अमन और शांति का पैगाम दे रहा है | हर जगह बड़े बड़े बैनर पे लगे शांति सन्देश आप को दिखने लगते हैं |
बहुप्रतिभाशाली एस.एम्. मासूम जो समाज सेवक, मशहूर ब्लॉगर ,लेखक, इतिहासकार और सोशल मीडिया के जानकार और परमर्श्कर्ता है वे इस बार जौनपुर के अलग अलग इमामबाड़ों से लोगो को शांति सदेश इन शोक सभाओं में देते नज़र आते हैं |
शिराज़ ऐ हिन्द से बात चीत में एस एम् मासूम ने बताया ये इमामबाड़े जहां से शोक सभाएं होती है उसमे किसी भी धर्म वालों के आने पे कोई पाबंदी नहीं बल्कि जो आता है हम उसे मेहमान समझते हैं उसकी इज्ज़त करते हैं|
जौनपुर जिसे शिराज़ ऐ हिन्द कहा जाता है सूफियों,संतो और ऋषि मुनियों का शहर रहा है इसलिए आपसी भाईचारा और शांति सदेश समाज में देते रहना इसकी की पहचान है |