सज़ा याफ्ता मुख़्तार ने साधना को उतारा था मौत के घाट !

जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र के पचोखर गांव निवासी साधना सिंह  की हत्या रुपये मांगने पर की गई थी। पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले जेठ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि मुख्य आरोपी पति की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह दबिश दे रही है।
विजय कुमार सिंह  की शादी आजमगढ़ जिले के नदौली गांव निवासी साधना (40) के साथ हुई थी। विजय रोजी-रोटी की गरज से गुजरात रहने लगा। बड़ा पुत्र भानु प्रताप सिंह ननिहाल में ही रहकर पढ़ाई करता है, जबकि बेटी निधि और बेटा छोटू अपनी मां के ही पास रहते थे। थानाध्यक्ष मिथिलेश मिश्र के मुताबिक विजय ने गुजरात में अभिलाषा सिंह  नाम की महिला से दूसरी शादी कर लिया, जिसे लेकर घर में साधना से उसका विवाद चल रहा था। इसी बीच दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में गांव की जमीन बेची गई, जिसमें 20 लाख रुपये विजय के हिस्से में मिला। इसे लेकर वह गुजरात जाना चाहता था, लेकिन साधना इन रुपयों पर अपना हक जता रही थी, जो उसके पति को नागवार गुजर रहा था। वारदात के चंद दिनों पहले विजय घर आया। दोनों में विवाद इतना बढ़ा कि विजय ने पत्नी की पिटाई कर दिया। इसके बाद अपने भाई मुख्तार सिंह के साथ उसकी 9 दिसंबर की रात गला दबाकर हत्या कर दिया। दोनों ने घर से करीब 100 मीटर दूर खेत में साधना की जली लाश फेंक दिया। वारदात के बाद विजय अपने दोनों बच्चों के साथ घर से फरार हो गया। जानकारी होने भानु प्रताप घर पहुंचा तो पहले पिता पर हत्या मुकदमा दर्ज कराया। बाद में बड़े पिता मुख्तार पर शक जताते हुए पुलिस को जानकारी दिया। थानाध्यक्ष के मुताबिक इसकी भनक लगने पर मुख्तार भी फरार होने के लिए घर से निकला, लेकिन  दो दिन पहले उसे रोडवेज के पास गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उनसे अपना जुर्म कबूल किया।
थानाध्यक्ष ने बताया कि आरोपी मुख्तार करीब 30-35 साल पहले प्रापर्टी के लिए चाची और उसके बेटी की हत्या कर दिया था। इसके बाद उसे कोर्ट से उसे फांसी की सजा सुनाई थी,  सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद उसे आजीवन सजा दी गई थी, जिसके बाद सजा काटकर वह करीब तीन साल पहले जेल से बाहर आया था। इस दौरान चाची की जमीन को पिता जीत बहादुर के नाम उनके बच्चे मुख्तार, विजय, गिरजाशंकर, जय प्रकाश और अजय के नाम पर हो गई।
 थानाध्यक्ष ने बताया कि दिसंबर के पहले ही सप्ताह में 60 लाख रुपये की जमीन बिकी थी। रुपये तीन जय प्रकाश, अजय, विजय और उनकी सूर मां सुखराजी देवी ने लिया, क्योंकि मुख्तार सिंह  और गिरजा शंकर की शादी नहीं हुई है। इनमें गिरजा शंकर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और वह गुजरात रहता था। इसके कारण गिरजा शंकर के भी हिस्से का पैसा विजय ने ले लिया था।

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