ठण्ड बढ़ने से खिले किसानों के चेहरे
https://www.shirazehind.com/2017/12/blog-post_410.html
जौनपुर। जलवायु परिवर्तन के दौर में आधा दिसम्बर बीतने पर भी ठण्ड न पड़ने
से रवी की मुख्य फसल गेहूँ पर स्पस्ट रूप से उत्त्पादन घटने के अंदेशा
किसानों को हो रहा था जिससे किसान चिन्तित व मायूस थे। विगत दो दिनों से
पछुआ हवा चलने से वातावरण में आद्रता बढ़ने के साथ ठण्ड ने भी अपनी दश्तक दे
रही है जिससे गेहूँ की वेहतर उत्पादन के आसार बढ़ गए है किसानों के चेहरों
पर खुशहाली आ गयी है।
डिप्टी पीडी आत्मा रमेश चंद्र यादव ने बताया कि वर्तमान में वातावरण के सामान्य तापमान से लगभग 2 सेंटीग्रेट तापमान अधिक है जिससे फसलों में वियास अच्छे नही होते है किल्ले कम निकलते है परिणाम स्वरूप उत्त्पादन में कमी आती है। विगत दो दिनों से ठण्ड बढ़ी है अगले सप्ताह तक ठण्ड अच्छी पड़ेगी जिससे किसान गेहूँ की पहली सिचाई 20 - 25 दिन के अन्दर करले । पहली सिचाई के बाद पहले 13 ग्राम प्रति एकड़ की दर से टोटल दवा 200 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें जिससे खरपतवार नियन्त्रित रहे। इसके तीन दिन बाद ही 20 किलोग्राम यूरिया 5 किग्रा0 ज़िंकसल्फेट या 2.5 किग्रा0 चूने के पानी मे घोल बनाकर 500 लीटर पानी की दर से प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें तो कम लागत व स्वच्छ पर्यावरण में वेहतर उत्पादन लेकर कृषि का सतत विकास कर सकते है।
डिप्टी पीडी आत्मा रमेश चंद्र यादव ने बताया कि वर्तमान में वातावरण के सामान्य तापमान से लगभग 2 सेंटीग्रेट तापमान अधिक है जिससे फसलों में वियास अच्छे नही होते है किल्ले कम निकलते है परिणाम स्वरूप उत्त्पादन में कमी आती है। विगत दो दिनों से ठण्ड बढ़ी है अगले सप्ताह तक ठण्ड अच्छी पड़ेगी जिससे किसान गेहूँ की पहली सिचाई 20 - 25 दिन के अन्दर करले । पहली सिचाई के बाद पहले 13 ग्राम प्रति एकड़ की दर से टोटल दवा 200 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें जिससे खरपतवार नियन्त्रित रहे। इसके तीन दिन बाद ही 20 किलोग्राम यूरिया 5 किग्रा0 ज़िंकसल्फेट या 2.5 किग्रा0 चूने के पानी मे घोल बनाकर 500 लीटर पानी की दर से प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें तो कम लागत व स्वच्छ पर्यावरण में वेहतर उत्पादन लेकर कृषि का सतत विकास कर सकते है।