बजट खर्च के लिए हो रही अभिलेखों से जंग

जौनपुर। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दिन करीब आने के साथ जिले में विभिन्न सरकारी महकमों में आवंटित बजट खर्च करने की बेचैनी बढ़ गई है। 25 मार्च तक बिल कोषागार में प्रस्तुतिकरण का निर्देश दिया है। ऐसे में विभागीय अधिकारी व कर्मचारी तय सीमा में बजट को खर्च करने की गणित में जुटे गए हैं। वित्तीय वर्ष 2017- 18 समाप्ति के दिन करीब आने के साथ अधिकारी से लेकर विभागीय लिपिक तक बजट समायोजन के काम में जुट चुके हैं। विकास भवन समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में गहमागहमी का माहौल देखने को मिल रहा है। कई विभागों में बजट खातों में डंप पड़ा है लेकिन महकमे उपलब्ध बजट को खर्च नहीं कर सके हैं। वहीं निर्माणाधीन परियोजनाएं भी बजट खर्च की आस ताक रही हैं। चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र 11दिन शेष बचे हैं। जनपद के कई प्रमुख विभाग विकास कार्यो सहित अन्य मदों के लिए आया करोड़ों रुपया अभी तक खर्च नहीं कर पाए हैं। इस स्थिति में विभाग के अधिकारी इस राशि को खर्च करने के लिए गुणा-भाग लगाने में जुटे हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि विकास के लिए जारी किए गए धन को उचित जगह खर्च किया जाना चाहिए। उसे वापिस भेजने की स्थिति नहीं आनी चाहिए। इसे लेकर कुछ अधिकारी और कर्मचारी बिल तैयार कर जल्द से जल्द ट्रेजरी से टोकन हासिल करने की तैयारी में लगे हैं, तो कुछ कर्मचारी खर्च हुई धनराशि का ब्योरा तैयार करने में लगे हैं। प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी बजट सत्र समाप्त होने के आखिरी दिनों में सरकारी तंत्र तेजी पकड़ रही है। वर्ष भर टरकाई कार्य के चलते जिले के शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, विकास, पिछड़ा वर्ग, समाज कल्याण, लोक निर्माण समेत अनेक प्रमुख विभाग अपने-अपने शेष बचे बजट को खर्च करने के लिए अभिलेखों से जंग लड़ रहे हैं। संबंधित विभागों के अधिकारी इसी प्रयास में हैं कि जल्द से जल्द इस धनराशि का प्रयोग किया जाए ताकि पैसा वापस शासन को न भेजना पड़े। अगर पैसा लौटाना पड़ा तो दोबारा मंगवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।

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